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श्रावण शिवरात्रि 2025 – अभिषेक से लेकर आरती तक, पूरी विधि

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श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है, और इस पवित्र महीने में आने वाली शिवरात्रि का महत्व अत्यधिक होता है। श्रावण शिवरात्रि, जिसे मासिक शिवरात्रि भी कहते हैं, भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने का एक अद्भुत अवसर है। इस दिन सच्चे मन से किया गया पूजन भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है। आइए जानते हैं श्रावण शिवरात्रि 2025 की संपूर्ण पूजा विधि, इसके लाभ और कुछ व्यावहारिक सुझाव।

श्रावण शिवरात्रि 2025 कब है?

श्रावण शिवरात्रि 2025 की तिथि 23 जुलाई 2025 (बुधवार) – श्रावण मास की शिवरात्रि का महत्त्व विशेष रूप से भगवान शिव के भक्तों के लिए अत्यंत पावन होता है। यह शिवरात्रि न केवल धर्म और भक्ति का पर्व है, बल्कि आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का अवसर भी है।

श्रावण शिवरात्रि का महत्व

श्रावण मास में भगवान शिव अपनी प्रजा पर विशेष कृपा बरसाते हैं। शिवरात्रि वह दिन है जब भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन व्रत और पूजन करने से अविवाहितों को सुयोग्य वर या वधू प्राप्त होते हैं, वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है, और समस्त कष्टों का निवारण होता है। भगवान शिव की कृपा से धन, धान्य, आरोग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

श्रावण शिवरात्रि में पूजा की तैयारी – आवश्यक सामग्री

पूजा शुरू करने से पहले सभी सामग्री एकत्र कर लें ताकि पूजा निर्बाध रूप से संपन्न हो सके:

  • शिवलिंग: यदि घर में है, तो ठीक, अन्यथा पास के मंदिर में जा सकते हैं।
  • अभिषेक के लिए: गंगाजल, कच्चा दूध, दही, घी, शहद, चीनी (या शक्कर), इत्र, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल का मिश्रण)।
  • पुष्प: सफेद फूल, धतूरा, आक के फूल, कनेर।
  • पत्ते: बेलपत्र (कम से कम 3 पत्तियों वाला), शमी पत्र, दूर्वा।
  • अन्य सामग्री: चंदन (सफेद चंदन), भस्म या विभूति, अक्षत (चावल), फल (मौसमी फल), मिठाई (विशेषकर भांग-धतूरे का प्रसाद), दीपक और घी/तेल, धूपबत्ती, कपूर, प्रसाद के लिए भांग, धतूरा, बेल (यदि उपलब्ध हो), दक्षिणा (श्रद्धा अनुसार), पूजा के लिए आसन, स्वच्छ वस्त्र।

श्रावण शिवरात्रि पूजा विधि – अभिषेक से लेकर आरती तक

श्रावण शिवरात्रि की पूजा ब्रह्म मुहूर्त में या प्रदोष काल में करना सबसे शुभ माना जाता है।

  • संकल्प (सुबह): सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शांत मन से पूजा स्थल पर बैठें। हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर भगवान शिव का ध्यान करें और अपनी मनोकामना बोलते हुए व्रत का संकल्प लें। उदाहरण के लिए, “मैं (अपना नाम) आज श्रावण शिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और (अपनी मनोकामना) के लिए यह व्रत रख रहा/रही हूं।”
  • अभिषेक (प्रातःकाल या प्रदोष काल): अभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है।
  • जल अभिषेक: सबसे पहले शिवलिंग को शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं। ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का निरंतर जाप करते रहें।
  • पंचामृत अभिषेक: इसके बाद, पंचामृत से अभिषेक करें। एक-एक करके दूध, दही, घी, शहद और चीनी से अभिषेक करें, हर बार अभिषेक के बाद शुद्ध जल से स्नान कराते रहें।
  • सुगंधित अभिषेक: अंत में इत्र या सुगंधित जल से अभिषेक करें। अभिषेक के बाद शिवलिंग को साफ कपड़े से पोंछ लें।
  • वस्त्र एवं श्रृंगार: शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं। भस्म या विभूति लगाएं। शिवलिंग को बेलपत्र, शमी पत्र, दूर्वा, आक के फूल, धतूरा आदि से सजाएं। बेलपत्र हमेशा उल्टा (चिकनी सतह नीचे) चढ़ाना चाहिए। बेलपत्र चढ़ाते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें और कोशिश करें कि बेलपत्र खंडित न हों। पुष्पमाला पहनाएं।
  • धूप-दीप: घी का दीपक प्रज्वलित करें। दीपक को हमेशा शिवलिंग के दाहिनी ओर रखें। धूपबत्ती जलाएं और भगवान को समर्पित करें।
  • नैवेद्य (भोग): भगवान शिव को फल, मिठाई, भांग, धतूरा आदि का भोग लगाएं। शिवजी को ठंडाई भी बहुत पसंद है। प्रसाद को बाद में भक्तों में वितरित करें।
  • मंत्र जाप और स्तुति: ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का यथाशक्ति जाप करें (कम से कम 108 बार)। महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं: ‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥’ शिव चालीसा, शिव तांडव स्तोत्र या अन्य शिव स्तुति का पाठ करें।
  • कथा श्रवण: शिवरात्रि की व्रत कथा अवश्य सुनें या पढ़ें। यह व्रत के महत्व को समझने में मदद करता है।
  • आरती: पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें। कपूर जलाकर या दीपक से आरती गाएं। आरती के बाद शंख बजाएं और घंटी बजाएं।
  • क्षमा याचना और प्रणाम: पूजा में हुई किसी भी त्रुटि के लिए भगवान शिव से क्षमा याचना करें। भगवान शिव को प्रणाम करें और आशीर्वाद मांगें।
  • प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद भक्तों और परिवार के सदस्यों में बांटें।
  • व्रत का पारण: व्रत का पारण अगले दिन सुबह स्नान के बाद करें। सात्विक भोजन ग्रहण करें।

श्रावण शिवरात्रि के लाभ

  • सच्चे मन से की गई पूजा से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
  • भगवान शिव मोक्ष के दाता हैं, उनकी पूजा से जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है।
  • शिवरात्रि का व्रत करने से जाने-अनजाने हुए पापों का नाश होता है।
  • भगवान शिव को मृत्युंजय कहा जाता है, उनकी कृपा से रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • शिवजी की पूजा से घर में सुख, शांति, धन और समृद्धि आती है।
  • अविवाहितों को सुयोग्य जीवनसाथी मिलता है, और संतानहीन दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है।

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