बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है, इसलिए इस दिन श्री गणेश की आरती का विशेष महत्व है। आरती “जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा” से शुरू होती है, जो विघ्नहर्ता को समर्पित है।
इस आरती के माध्यम से भक्तजन बुद्धि, विद्या और सौभाग्य के दाता गणेश जी की स्तुति करते हैं। आरती में उनके स्वरूप – जैसे लड्डुओं का भोग और मूषक की सवारी – का वर्णन किया जाता है। माना जाता है कि बुधवार को गणेश जी की आरती करने से बुध ग्रह से जुड़ी बाधाएं दूर होती हैं और कार्य सिद्ध होते हैं। यह आरती घर में सुख-शांति और समृद्धि लाती है।
|| श्री बुधवार आरती (Shri Budhwar Aarti PDF) ||
आरती युगलकिशोर की कीजै।
तन मन धन न्यौछावर कीजै॥
गौरश्याम मुख निरखन लीजै।
हरि का रूप नयन भर पीजै॥
रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥
ओढ़े नील पीत पट सारी।
कुजबिहारी गिरिवरधारी॥
फूलन सेज फूल की माला।
रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला॥
कंचन थार कपूर की बाती।
हरि आए निर्मल भई छाती॥
श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी।
आरती करें सकल नर नारी॥
नन्दनन्दन बृजभान किशोरी।
परमानन्द स्वामी अविचल जोरी॥
|| इति श्री बुधवार आरती ||
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