|| आरती ||
ओम दंतेश्वरी माता, जय दंतेश्वरी माता।
शरणागत की रक्षक, रिद्धि –सिद्धि दाता।।
पावन छवि विराजत, श्यामागी गौरी।
रजत सर्वण आभूषण, भात मुकुट धारी।।
शक्ति सती कल्याणी, भव संताप हरे।
दंतेश्वरी भवानी, नाम अनेक धरे।।
मंगल ज्योति कलश की, जगमग ज्योति जले।
तन–मन करे प्रकाशित, जग्दम्बे अमले।।
दानव देव मनुज संत, सेवक सब प्राणी।
देवी त्रिभुवन व्यापी, जग की महारानी।।
डंकिनी शंखिनी संगम, चरण चिन्ह गहरा।
भानेश्वरी बंजारिन, भैरव का पहरा।।
रूय नवरात्रि जो सेवत दरनि को पावै।
पूर्ण मनोरथ होकर, सुख सम्पति पावै।।
दंतेश्वरी माता की , आरती सुखकारी।
करूणामयी शिवानी, भवभव दुखहारी।।
वामन अति अज्ञानि, जप तप विधि बिसारी।
केवल करे समर्पित, भाव भरी अंजुरी।।
ओम दंतेश्वरी माता, जय दंतेश्वरी माता।
शरणागत की रक्षक, रिद्धि–सिद्धि दाता।।
|| इति श्री दंतेश्वरी माता आरती ||
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