श्री कल्कि आरती भगवान विष्णु के दशम अवतार कल्कि भगवान की महिमा का गान है, जो कलियुग के अंत में अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करेंगे। इस आरती का पाठ करने से भक्तों को अज्ञान, अधर्म और कलियुगी दोषों से मुक्ति मिलती है।
श्री कल्कि आरती में कल्कि भगवान की दिव्य शक्ति, उनके तेजस्वी स्वरूप और उनके कल्याणकारी अवतार का भावपूर्ण वर्णन मिलता है। यदि आप श्री कल्कि आरती PDF डाउनलोड करना चाहते हैं, तो इसे अपने मोबाइल या कंप्यूटर में संग्रहित कर नित्य आराधना में शामिल कर सकते हैं और ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
|| श्री कल्कि आरती (Kalki Aarti PDF) ||
ॐ जय जय सुर रक्षक असुर विनाशक,
पद्मावत के प्यारे॥
जय जय श्री कल्कि भक्त हितकारी,
दुष्टन मारन हारे॥
जय जय खड्गधारी जय असुरारी,
गऊ विप्रन के रखवारे॥
क्षीर सागरवासी जय अविनाशी,
भूमि भार उतारन हारे॥
अलख निरंजन भव भय भंजन,
जय संभल सरकारे॥
भक्त जानो के पालनकर्ता,
जय गउन रखवारे॥
जय जयकार करत सब भक्तजन,
सुनिए प्राण प्यारे॥
वेगहि सुधि लेना मेरे स्वामी,
हम सब दास पुकारे॥
ॐ जय जय कल्कि भगवान
ॐ जय जय कल्कि भगवान
बार बरोबर बाढ़ है,
तापर चलत ब्यार॥
श्री कल्कि पार उतारिये,
अपनी और निहार॥
|| इति श्री कल्कि आरती ||
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