श्री खाटू श्याम अष्टक

|| दोहा ||

गुरु गणपति शारद शरण
नौमि श्याम दिन रैन ।
अष्टक सत चित्त सुमिरण
प्रदत सकल सुख चैन ॥

खाटू दर कलिमल हरण
विपत विमुच मृदु वैन ।
विप्लव वन्दक प्रभु चरण
सदय हरत हरि दैन ॥

|| चौपाई ||

जय यक्षप कुल कोटि चौरासी,
सूर्यवर्च अधिपति अविनासी

जयति प्रताप प्रखर बलबंता,
किस बिध विरद बखानु अनंता

जय प्रवृत्त हरण भूमि भारा,
अल्प श्राप नैर्ॠत तनु धारा

जयति कामकटंकटा जाया,
मोर्विकुक्षि राजहंस कहाया

जय घटोत्कच मुद वर्धमाना,
बर्बरीक प्रसिद्ध अविधाना

जयति कृष्ण आज्ञा परिपालक,
गुप्त क्षेत्र देवी आराधक

जय नव चण्डी शक्ति स्वरूपा,
अर्जित अतुलित वीर्य अनूपा

जयति विप्र विजय सिद्धि दायक,
चण्डिल नाम वीर वर पायक

जय वैष्णव वैतरणी तारक,
नव कोटि पलाशी संहारक

जयति द्रुहद्रुह दैत्या मारक,
पिङग्ल रेपलेन्द्र वध कारक

जय बली भीम मान विदारक,
नाग कन्या वरण परिहारक

जयति भैमिसुत निधि सुखचैना,
अति प्रवृत्त वध कौरव सेना

जय यदुपति वर लब्ध प्रतापा,
दात्र सकल वर हर भव तापा

जयति श्याम कलि वन्दित देवा,
बड भागी जन पावत सेवा

जय श्री श्याम भक्त पत राखत,
मोहन मनोज विप्लव याचत

जयति भक्त वत्सल भगवाना,
रक्षा करो प्रभु कृपा निधाना

|| दोहा ||

नित्य श्याम अष्टक पढ़े
उर आनन्द हमेश ।
सकल सुख आरोग्य
बढ़े मोर्वेय हरत क्लेश ॥

निज भक्त पर दया द्रवे
दीन दु:खी हितेश ।
अष्ट सिद्धि नव निधि प्रदे
जयति खाटू नरेश ॥

|| इति श्री खाटू श्याम अष्टक ||

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