श्री पार्श्वनाथ जी की आरती PDF

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|| आरती || ओं जय पारस देवा स्वामी जय पारस देवा ! सुर नर मुनिजन तुम चरणन की करते नित सेवा | पौष वदी ग्यारस काशी में आनंद अतिभारी, अश्वसेन वामा माता उर लीनों अवतारी | ओं जय पारस देवा स्वामी जय पारस देवा ! श्यामवरण नवहस्त काय पग उरग लखन सोहैं, सुरकृत अति अनुपम...

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श्री पार्श्वनाथ जी की आरती
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