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श्री सप्तश्रृंगा अंबा आरती

Shri Saptashringa Amba Aarti Hindi

MiscAarti (आरती संग्रह)हिन्दी
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|| आरती ||

जय देवी सप्तश्रृंगा अंबा
गौतमी गंगा नटली ही ।

बहुरंगा उटी शेंदूर अंगा
जय देवी सप्तश्रृंगा ।। धृ ।।

पूर्व मुख अंबे ध्यान जरा वाकडी
मान मार्कडेय देई कान ।

सप्तशतीचे पान एके अंबा गिरि श्रृंगा,
अंबा गौतमी गंगा जय देवी सप्तश्रृंगी ।।

माये तुझा बहु थाट देई सगुण भेट
प्रेम पान्हा एक घोट भावे भरले ।

पोट करू नको मनभंगा,
अंबा गौतमी गंगा जय देवी सप्तश्रृंगा ।।

महिषीपुत्र म्हैसासुर दृष्टी कामे असुर
करि दाल समशेर क्रोधे उडविली ।

शिर शिवशक्ती शिवगंगा,
अंबा गौतमी गंगा जय देवी सप्तश्रृंगा ।।

निवृत्ति हा राधासुत अंबे आरती गात
अठराही तुझे हात भक्तां अभय देत ।

चरणकमल मनभंगा,
अंबा गौतमी गंगा जय देवी सप्तश्रृंगा ।।

|| इति श्री सप्तश्रृंगा अंबा आरती ||

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