श्री विश्वकर्मा’ सृष्टि के महान वास्तुकार, देवता और शिल्पकार हैं। हिंदू धर्म में उन्हें सभी यंत्रों, कलाओं और विज्ञान के जनक के रूप में पूजा जाता है। यह माना जाता है कि उन्होंने ब्रह्मा के कहने पर सृष्टि के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
देवताओं के लिए महलों, अस्त्रों और रथों का निर्माण करने वाले विश्वकर्मा को हर एक शिल्प और कारीगरी से जुड़ा माना जाता है। इंजीनियर, आर्किटेक्ट, मजदूर, बढ़ई, सुनार और लोहार जैसे लोग खासकर उनकी पूजा करते हैं, जिससे उनके काम में सफलता, समृद्धि और सुरक्षा बनी रहे। उनकी पूजा से काम में बरकत आती है और कुशलता बढ़ती है।
|| श्री विश्वकर्मा आरती (Vishwakarma Aarti PDF) ||
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता,
रक्षक स्तुति धर्मा ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
आदि सृष्टि मे विधि को,
श्रुति उपदेश दिया ।
जीव मात्र का जग में,
ज्ञान विकास किया ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
ऋषि अंगीरा तप से,
शांति नहीं पाई ।
ध्यान किया जब प्रभु का,
सकल सिद्धि आई ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
रोग ग्रस्त राजा ने,
जब आश्रय लीना ।
संकट मोचन बनकर,
दूर दुःखा कीना ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
जब रथकार दंपति,
तुम्हारी टेर करी ।
सुनकर दीन प्रार्थना,
विपत सगरी हरी ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
एकानन चतुरानन,
पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज,
सकल रूप साजे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
ध्यान धरे तब पद का,
सकल सिद्धि आवे ।
मन द्विविधा मिट जावे,
अटल शक्ति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
श्री विश्वकर्मा की आरती,
जो कोई गावे ।
भजत गजानांद स्वामी,
सुख संपति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता,
रक्षक स्तुति धर्मा ॥
|| श्री विश्वकर्मा पूजा की विधि और लाभ ||
श्री विश्वकर्मा पूजा का आयोजन मुख्य रूप से विश्वकर्मा जयंती के दिन किया जाता है, जो कन्या संक्रांति के समय आती है। इस दिन भक्तजन उनकी मूर्ति की स्थापना करते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं।
- सबसे पहले, पूजा स्थल और स्वयं को स्वच्छ करें।
- पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कि फूल, रोली, अक्षत, दीपक, अगरबत्ती, मिठाई और पूजा में उपयोग होने वाले औजारों को इकट्ठा करें।
- पूजा शुरू करने से पहले भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करें और पूजा का संकल्प लें।
- ‘ॐ विश्वकर्मणे नमः’ का जाप करें।
- पूजा के अंत में, पूरे भक्ति भाव से श्री विश्वकर्मा आरती करें।
|| श्री विश्वकर्मा पूजा के लाभ ||
- यह पूजा व्यवसाय में वृद्धि और सफलता लाती है।
- कारीगरों और मजदूरों को काम के दौरान दुर्घटनाओं से सुरक्षित रखती है।
- यह कारीगरों के कौशल और रचनात्मकता को बढ़ाती है।
- यह घर में धन और समृद्धि लाती है।
- यह मन को शांति और सकारात्मकता प्रदान करती है।
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