प्रज्ञा संवर्द्धन सरस्वती स्तोत्र
|| प्रज्ञा संवर्द्धन सरस्वती स्तोत्र || या प्रज्ञा मोहरात्रिप्रबलरिपुचयध्वंसिनी मुक्तिदात्री सानन्दाशाविधात्री मधुमयरुचिरा पावनी पातु भव्या। सौजन्याम्भोजशोभा विलसतु विमला सर्वदा सर्वथाऽत्र साम्यस्निग्धा विशुद्धा भवतु च वसुधा पुण्यवार्ताविमुग्धा। या प्रज्ञा विश्वकाव्यामृतरसलहरीसारतत्त्वानुसन्धा सद्भावानन्दकन्दा ह्यभयविभवदा साम्यधर्मानुबद्धा। शुद्धाचारप्रदात्री निरुपमरुचिरा सत्यपूताऽनवद्या कल्याणं सन्ततं सा वितरतु विमला शान्तिदा वेदविद्या। या ज्ञानामृतमिष्टदं प्रददते या लोकरक्षाकरी । या चोदारसुशीलशान्तविमला या भक्तिसञ्चारिणी। या गोवृन्दनियन्त्रणातिकुशला सा…