Download HinduNidhi App
Misc

फुलेरा दूज व्रत कथा

Phulaira Dooj Vrat Katha Hindi

MiscVrat Katha (व्रत कथा संग्रह)हिन्दी
Share This

|| फुलेरा दूज व्रत कथा ||

फाल्गुन मास में कई ऐसे त्यौहार आते हैं जो हमारी धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर को एक बार फिर से ताज़ा करते हैं। उन्हीं में से एक पावन पर्व है ‘फुलेरा दूज’। ये त्यौहार वसंत पंचमी और होली के बीच आता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने राधा के साथ फूलों की होली खेली थी, यही कारण है कि इस पर्व का नाम ‘फुलेरा दूज’ पड़ा। इस साल ये तिथि मंगलवार, 12 मार्च को पड़ रही है।

फुलेरा दूज पर राधा कृष्ण की पूजा करने, उन्हें फूलों से सजाने, व उनके साथ फूलों वाली होली खेलने का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि ऐसा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं अति शीघ्र पूरी होती हैं। इस दिन भगवान कृष्ण व राधा रानी की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं, और भविष्य में आने वाली हर अड़चन से छुटकारा मिलता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फुलेरा दूज के दिन अबूझ मुहूर्त होता है। ऐसे में इस दिन विवाह या कोई अन्य मांगलिक कार्य करने के लिए शुभ मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर विवाह करने से जोड़े पर राधे कृष्ण की कृपा आजीवन बनी रहती है, और उनका प्रेम प्रगाढ़ होता जाता है।

|| फुलेरा दूज पौराणिक कथा ||

पौराणिक कथा के अनुसार- एक बार कुछ ऐसा हुआ कि भगवान श्री कृष्ण बहुत दिनों तक राधा से मिलने वृन्दावन नहीं जा पाए थे। ऐसे में राधा रानी अत्यंत दुखी हो गईं। राधा का ये अथाह दुख देखकर सिर्फ़ ग्वाल व गोपियां ही नहीं, बल्कि मथुरा के सभी पेड़-पौधे व फूल मुरझाने लगे।

ये बात जब श्री कृष्ण को पता चली तो वो शीघ्र ही राधा रानी से मिलने के लिए वृंदावन आ पहुंचे। कान्हा के आगमन का समाचार सुनकर वियोग में जलविहीन मछली की तरह छटपटाती राधा का मुखमंडल खिल उठा। गोपियां भी बहुत प्रसन्न हुईं। सूखते हुए पेड़ पौधे व फूलों में एक बार फिर से जान आ गई और वो फिर से पहले की भांति हरे-भरे हो गए। उस समय कन्हैया ने इन फूलों को तोड़कर राधा पर फेंकना शुरू कर दिया। इसके बाद राधा भी प्रसन्न होकर उनपर फूल फेकने लगीं। ये देखकर गोपियां और ग्वाल सब एक-दूसरे पर फूल बरसाने लगे।

कहा जाता है कि तभी से ‘फुलेरा दूज’ का यह पर्व बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाने लगा, और हर वर्ष मथुरा में इस दिन फूलों की होली खेलने की परंपरा शुरू हुई।

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download HinduNidhi App

Download फुलेरा दूज व्रत कथा PDF

फुलेरा दूज व्रत कथा PDF

Leave a Comment