श्री जानकी स्तुति
॥जानकी स्तुति॥ भई प्रगट कुमारी भूमि-विदारी जन हितकारी भयहारी । अतुलित छबि भारी मुनि-मनहारी जनकदुलारी सुकुमारी ॥ सुन्दर सिंहासन तेहिं पर आसन कोटि हुताशन द्युतिकारी । सिर छत्र बिराजै सखि संग भ्राजै निज -निज कारज करधारी ॥ सुर सिद्ध सुजाना हनै निशाना चढ़े बिमाना समुदाई । बरषहिं बहुफूला मंगल मूला अनुकूला सिय गुन गाई ॥…