तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD), जो प्रसिद्ध तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर का प्रबंधन करता है, ने तीर्थयात्रियों के लिए दो महत्वपूर्ण घोषणाएँ की हैं, जिनका ध्यान यात्रा की योजना बना रहे भक्तों को अवश्य रखना चाहिए। भगवान वेंकटेश्वर, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, को समर्पित यह मंदिर दुनिया के सबसे अधिक देखे जाने वाले तीर्थ स्थलों में से एक है, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।
TTD मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्रों में संचालन, प्रशासन और सेवाओं की देखरेख करता है। इसके प्रमुख कार्यों में सुरक्षा व्यवस्था, तीर्थयात्री सेवाएँ, मंदिर के राजस्व का प्रबंधन और चैरिटेबल कार्य शामिल हैं। आम भक्तों को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से, TTD ने नई कमरा आवंटन नीति लागू की है। इस नीति के तहत, तिरुपति मंदिर में सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सिफारिश पत्रों के आधार पर कमरा आवंटन पर विशेष शर्तें लगाई गई हैं, जिससे आम भक्तों के लिए उपलब्ध कमरों की संख्या में वृद्धि हुई है।
तिरुपति बालाजी मंदिर
तिरुपति बालाजी मंदिर, जिसे श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश राज्य के चित्तूर जिले में तिरुमला पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर भगवान वेंकटेश्वर (भगवान विष्णु के अवतार) को समर्पित है और इसे ‘कलियुग वैकुंठ’ के रूप में भी जाना जाता है, जहाँ भगवान विष्णु स्वयं निवास करते हैं।
तिरुपति मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
तिरुपति बालाजी मंदिर का उल्लेख पुराणों और प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 12वीं शताब्दी में बनाया गया था, लेकिन इसका अस्तित्व इससे भी पहले का है। इस मंदिर की देखरेख वर्तमान में तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) द्वारा की जाती है, जो इसके संचालन, प्रशासन और तीर्थयात्रियों की सुविधाओं का प्रबंधन करता है।
तिरुपति मंदिर की वास्तुकला
तिरुपति बालाजी मंदिर द्रविड़ शैली में निर्मित एक भव्य मंदिर है। इसके प्रमुख आकर्षण इस प्रकार हैं:
- स्वर्ण मंडित गोपुरम (मुख्य द्वार) – इस मंदिर का गोपुरम (गेटवे टॉवर) सोने की परत से मढ़ा हुआ है।
- गरुड़ मंडपम – यह मंदिर परिसर में स्थित एक पवित्र स्थल है जहाँ श्रद्धालु प्रार्थना करते हैं।
- अंता: गृह (गर्भगृह) – यहाँ भगवान वेंकटेश्वर की काले पत्थर की भव्य मूर्ति स्थापित है, जिसे चंदन, तुलसी और फूलों से सजाया जाता है।
- हुंडी (दान पात्र) – यह मंदिर विश्व के सबसे धनी मंदिरों में से एक है, जहाँ भक्त करोड़ों रुपये, सोना और चाँदी का दान करते हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर की मान्यताएँ
बालाजी की मूर्ति के पीछे के रहस्य, ऐसा माना जाता है कि भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रंग बदलती है।
भगवान का उधार लिया हुआ कर्ज – मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर ने कुबेर से विवाह के लिए ऋण लिया था, जिसे भक्त अपने दान के माध्यम से चुकाने में सहायता कर रहे हैं। बालाजी के सिर पर हमेशा नमी बनी रहती है, भक्तों का विश्वास है कि भगवान की मूर्ति के सिर पर जल चढ़ाने के बाद भी वह हमेशा गीली रहती है।
तिरुपति दर्शन और प्रमुख उत्सव
तिरुपति बालाजी मंदिर में दैनिक पूजा और विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। यहाँ पर भक्तों को विशेष दर्शन, तिरुपति लड्डू प्रसाद और विभिन्न सेवाएँ प्रदान की जाती हैं। कुछ प्रमुख त्योहार जो यहाँ धूमधाम से मनाए जाते हैं:
- ब्रह्मोत्सवम – यह तिरुपति का सबसे बड़ा वार्षिक उत्सव है, जो 9 दिनों तक चलता है।
- वैष्णव पर्व – भगवान विष्णु से जुड़े सभी पर्व यहाँ भव्य रूप से मनाए जाते हैं।
- रथोत्सव (रथ यात्रा) – इस दिन भगवान की मूर्ति को एक विशाल रथ पर रखकर नगर भ्रमण कराया जाता है।
तिरुपति यात्रा की जानकारी
- स्थान – तिरुमला, चित्तूर जिला, आंध्र प्रदेश
- निकटतम हवाई अड्डा – तिरुपति अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (15 किमी दूर)
- निकटतम रेलवे स्टेशन – तिरुपति रेलवे स्टेशन
- आवास सुविधा – TTD द्वारा संचालित धर्मशालाएँ और होटल उपलब्ध हैं।
Found a Mistake or Error? Report it Now