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रात में नाखून काटना – अंधविश्वास या कोई बड़ी वजह? जानिए क्या कहते हैं शास्त्र और साइंस

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“अरे बेटा! सूरज ढल गया है, अब नेल कटर (Nail Cutter) रख दो, रात को नाखून नहीं काटते!” क्या आपने भी बचपन में अपनी दादी या नानी से यह डांट सुनी है? मुझे यकीन है कि भारत के लगभग हर घर में यह वाक्य कभी न कभी गूंजा होगा। हम में से कई लोग इसे सिर्फ एक वहम या अंधविश्वास (Superstition) मानकर टाल देते हैं, जबकि कुछ लोग डर की वजह से इसका पालन करते हैं।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर हमारे पूर्वजों (Ancestors) ने यह नियम क्यों बनाया? क्या इसके पीछे वाकई कोई अनहोनी का डर है या फिर कोई गहरा तर्क (Logic)? आज के इस ब्लॉग में हम इस पुरानी भारतीय परंपरा की ‘पोस्टमार्टम’ करेंगे और जानेंगे कि रात में नाखून काटना क्यों मना है – शास्त्रों के अनुसार भी और विज्ञान के नजरिए से भी।

धार्मिक मान्यता और माँ लक्ष्मी का कनेक्शन (Religious Beliefs)

भारतीय संस्कृति में हर छोटी-बड़ी चीज को धर्म और ग्रहों से जोड़ा गया है ताकि लोग डर या सम्मान (Respect) की वजह से अनुशासन में रहें। रात को नाखून न काटने के पीछे सबसे बड़ा धार्मिक कारण देवी लक्ष्मी से जुड़ा है।

  • लक्ष्मी का आगमन – शास्त्रों के अनुसार, शाम का समय (Godhuli Bela) और रात का समय देवी लक्ष्मी के घर में आगमन का होता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय शरीर की गंदगी (जैसे नाखून या बाल) को काटकर घर में गिराना देवी का अनादर (Disrespect) है। इससे घर में दरिद्रता (Poverty) आती है और धन की हानि हो सकती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) – ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रात के समय बुरी शक्तियां या नकारात्मक ऊर्जा ज्यादा सक्रिय (Active) होती हैं। नाखून और बाल हमारे शरीर का ही हिस्सा हैं, और माना जाता है कि रात में इन्हें काटने से हमारी औरा (Aura) कमजोर होती है, जिससे हम पर नकारात्मक प्रभाव जल्दी पड़ सकता है।

रात को नाखून न काटने का असली सच

अब आते हैं मुद्दे की बात पर। पुराने जमाने में जब यह नियम बना था, तब परिस्थितियां (Situations) आज जैसी नहीं थीं। अगर हम अपने बुज़ुर्गों के नजरिए से देखें, तो इसके पीछे बहुत ही व्यावहारिक और वैज्ञानिक कारण (Scientific Reasons) छिपे थे:

अंधेरा और बिजली की कमी (Lack of Electricity)

आज हमारे पास हर कमरे में तेज एलईडी लाइट्स हैं, लेकिन 50-100 साल पहले ऐसा नहीं था। लोग दीये, लालटेन या मोमबत्ती की रोशनी में काम करते थे। रात में रोशनी बहुत कम होती थी।

तर्क: कम रोशनी में नाखून काटते समय उंगली कटने या चोट लगने का खतरा (Risk) बहुत ज्यादा होता था। इसलिए, सुरक्षा के लिहाज से रात में नाखून काटना मना कर दिया गया।

औजारों का फर्क (Sharp Tools)

आज के आधुनिक नेल कटर (Nail Clippers) बहुत सुरक्षित हैं। लेकिन पहले के समय में लोग नाखून काटने के लिए चाकू (Knives), उस्तरा या कैंची का इस्तेमाल करते थे।

तर्क: अंधेरे में धारदार हथियारों से नाख़ून काटना खतरनाक हो सकता था। खून बहने या सेप्टिक होने के डर से बड़ों ने इसे ‘रात में मना’ कर दिया।

साफ-सफाई और हाईजीन (Hygiene Factors)

नाखून काटने पर जो छोटे-छोटे टुकड़े गिरते हैं, वे इधर-उधर बिखर जाते हैं। दिन की रोशनी में इन्हें साफ़ करना आसान होता है।

तर्क: रात के अंधेरे में अगर नाखून के टुकड़े खाने-पीने की चीजों में गिर जाएं, तो यह पेट में जाकर नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा, नुकीले नाखून फर्श पर पड़े रहने से किसी के पैर में चुभ सकते थे। हाइजीन (Hygiene) बनाए रखने के लिए यह नियम बनाया गया था।

क्या आज के जमाने में यह नियम लागू होता है? (Modern Context)

अब सवाल यह उठता है कि क्या आज 2025-26 में भी हमें इस नियम को मानना चाहिए?

  • व्यावहारिक रूप से (Practically) – आज हमारे पास बिजली है, सुरक्षित नेल कटर हैं और वैक्यूम क्लीनर भी। तो, उंगली कटने या नाखून खाने में गिरने का डर अब न के बराबर है।
  • सांस्कृतिक रूप से (Culturally) – भारत में हम परम्पराओं को दिल से मानते हैं। अगर आप इसे ‘मां लक्ष्मी के सम्मान’ के तौर पर देखते हैं, तो रात में नाखून न काटने में कोई बुराई नहीं है। यह एक अनुशासन (Discipline) है जो हमें दिनचर्या का पालन करना सिखाता है।

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