गणेश जी, जिन्हें विघ्नहर्ता और प्रथम पूजनीय माना जाता है, हर शुभ कार्य से पहले पूजे जाते हैं। उनकी कृपा के बिना कोई भी कार्य सफल नहीं होता। भगवान गणेश को समर्पित कई पर्वों में से एक है संकष्टी चतुर्थी। यह व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है। इसमें से एक विशेष संकष्टी चतुर्थी है “विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी”। यह दिन भगवान गणेश के विघ्नराज स्वरूप को समर्पित है, जो सभी बाधाओं और कष्टों को दूर करने वाले माने जाते हैं। 2025 में विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी कब है, इसकी व्रत विधि क्या है, और इससे क्या चमत्कारी लाभ प्राप्त होते हैं, आइए विस्तार से जानते हैं।
2025 में विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी कब है?
2025 में, विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी सितम्बर 10, 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। यह दिन बुधवार होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि भगवान गणेश को समर्पित है।
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का महत्व
“विघ्नराज” नाम ही इस दिन के महत्व को स्पष्ट करता है – विघ्नों के राजा। इस दिन भगवान गणेश के विघ्नराज स्वरूप की पूजा करने से भक्तों के जीवन से सभी प्रकार की बाधाएं, परेशानियां और नकारात्मकता दूर होती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी माना जाता है जो किसी गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं, आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं, या किसी नए कार्य की शुरुआत करने जा रहे हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से भगवान गणेश स्वयं भक्तों के मार्ग में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत अत्यंत पवित्र और फलदायी माना जाता है। इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से भगवान गणेश शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
- चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान गणेश के सामने व्रत का संकल्प लें। आप मन में या बोलकर संकल्प ले सकते हैं कि आप यह व्रत निर्विघ्न संपन्न करेंगे और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान गणेश से प्रार्थना करेंगे।
- पूजा के लिए एक साफ स्थान चुनें। एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं और भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा भी रख सकते हैं, क्योंकि गणेश जी उनके पुत्र हैं।
- पूजा में दूर्वा (दुर्वा घास), मोदक या लड्डू (गणेश जी को अत्यंत प्रिय), फल, फूल, रोली, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, और जल कलश का उपयोग करें।
- सबसे पहले भगवान गणेश को जल अर्पित करें। उन्हें रोली और चंदन का तिलक लगाएं। दूर्वा की 21 गांठें गणेश जी को अर्पित करें। यह गणेश जी को सबसे प्रिय है। फूल और अक्षत चढ़ाएं। धूप और दीप प्रज्वलित करें।
- मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। यदि मोदक संभव न हो तो कोई भी मीठा फल या मिठाई चढ़ा सकते हैं।
- गणेश चालीसा या गणेश स्तोत्र का पाठ करें। “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
- शाम को चंद्रोदय होने पर चंद्रमा के दर्शन करें। चंद्र दर्शन के बिना संकष्टी चतुर्थी का व्रत अधूरा माना जाता है। एक लोटे में जल, दूध, चावल, और फूल डालकर चंद्रमा को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय “ॐ सों सोमाय नमः” या “ॐ चंद्रमसे नमः” मंत्र का जाप करें।
- चंद्र दर्शन और अर्घ्य के बाद ही व्रत का पारण करें। पारण में सबसे पहले गणेश जी को चढ़ाए गए मोदक या फल का सेवन करें। इसके बाद सात्विक भोजन ग्रहण करें। इस दिन प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन का सेवन वर्जित होता है।
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के चमत्कारी लाभ
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से कई चमत्कारी लाभ प्राप्त होते हैं:
- विघ्नों का नाश – यह व्रत नाम के अनुरूप ही सभी प्रकार की बाधाओं, कष्टों और परेशानियों को दूर करता है।
- मनोकामना पूर्ति – जो भक्त सच्ची श्रद्धा से यह व्रत रखते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, चाहे वे नौकरी, विवाह, संतान या स्वास्थ्य से संबंधित हों।
- सुख-समृद्धि – भगवान गणेश की कृपा से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
- ज्ञान और बुद्धि – गणेश जी को बुद्धि का देवता भी माना जाता है। इस व्रत को करने से ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है।
- नकारात्मकता का नाश – यह व्रत नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मकता का संचार करता है।
- रोग मुक्ति – स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों को इस व्रत से लाभ मिल सकता है और उन्हें रोगों से मुक्ति मिलती है।
- सफलता की प्राप्ति – किसी भी नए कार्य या उद्यम में सफलता प्राप्त करने के लिए यह व्रत अत्यंत शुभ माना जाता है।
कुछ विशेष बातें
- इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- झूठ बोलने और अपशब्दों का प्रयोग करने से बचें।
- किसी का अनादर न करें।
- पशु-पक्षियों के प्रति दया भाव रखें।
- यदि संभव हो तो इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
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