ऋषि पंचमी व्रत कथा

|| ऋषि पंचमी व्रत विधि || ऋषि पंचमी वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाए। इसके बाद घर और मंदिर की अच्छे से सफाई करें। इसके बाद पूजन की सामग्री जैसे धूप, दीप, फल, फूल, घी, पंचामृत आदि एकत्रित करके एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। चौकी पर सप्तऋषि…

ऋषी पंचमी व्रताची कथा

|| ऋषीपंचमी व्रताची पद्धत || ऋषीपंचमीच्या दिवशी सकाळी लवकर उठून स्नान करावे. यानंतर, घर आणि मंदिर पूर्णपणे स्वच्छ करा. यानंतर उदबत्ती, दिवा, फळे, फुले, तूप, पंचामृत इत्यादी पूजेचे साहित्य गोळा करून त्यावर लाल किंवा पिवळे कापड पसरवावे. पोस्टावर सप्तर्षींचे चित्र ठेवा. तुमची इच्छा असेल तर तुम्ही या दिवशी तुमच्या गुरूंचे चित्रही लावू शकता. आता त्यांना…

ઋષિ પંચમી વ્રત કથા

|| ઋષિ પંચમી વ્રતની રીત || ઋષિ પંચમીના દિવસે સવારે વહેલા ઊઠીને સ્નાન વગેરે કરવું. આ પછી, ઘર અને મંદિરને સારી રીતે સાફ કરો. આ પછી પૂજાની સામગ્રી જેવી કે ધૂપ, દીપ, ફળ, ફૂલ, ઘી, પંચામૃત વગેરે એકત્ર કરો અને એક લાલ કે પીળું કપડું પોસ્ટ પર પાથરી દો. પોસ્ટ પર સપ્તર્ષિનું ચિત્ર મૂકો. જો…

ರಿಷಿ ಪಂಚಮಿ ಕಥೆ

॥ ರಿಷಿ ಪಂಚಮಿ ಕಥೆ ॥ ಋಷಿಪಂಚಮಿ ರಾಜಸ್ವಲಾ ವ್ರತ ಕಥಾ, ಉತ್ತಂಕ್ ಮತ್ತು ಸುಶೀಲಾ ಕಥೆ ಭಗವಾನ್ ಬ್ರಹ್ಮನು ಉತ್ತಂಕ್ ಎಂಬ ಉದಾರ ಬ್ರಾಹ್ಮಣನ ದಂತಕಥೆಯನ್ನು ವಿವರಿಸಿದನು. ಉತ್ತಂಕ್ ತನ್ನ ಪತ್ನಿ ಸುಶೀಲಾಜೊತೆ ವಿದರ್ಬದಲ್ಲಿ ವಾಸಿಸುತ್ತಿದ್ದ. ಉತ್ತಂಕನ ಹೆಂಡತಿ ಸುಶೀಲಾ ತನ್ನ ಪತಿಗೆ ತುಂಬಾ ಸಮರ್ಪಿತಳು. ನಿಷ್ಠಾವಂತದಂಪತಿಗೆ ಒಬ್ಬ ಮಗ ಮತ್ತು ಮಗಳು ಇದ್ದಾರೆ. ಅವರ ಮಗಳುಯುವಕನನ್ನು ವಿವಾಹವಾದರು ಆದರೆ ಅವರ ಮದುವೆಯಾದ ಕೆಲವು ತಿಂಗಳನಂತರ ಅವರು ನಿಧನರಾದರು. ಪೋಷಕರು ಪವಿತ್ರ ಗಂಗಾ ನದಿಯ ದಡದಲ್ಲಿ ಒಂದು…

మంగళ గౌరీ వ్రత కథ

|| మంగళ గౌరీ వ్రత కథ || పురాణాల ప్రకారం, ఒకప్పుడు ఒక నగరంలో ధరంపాల్ అనే వ్యాపారవేత్త ఉండేవాడు. అతని భార్య చాలా అందంగా ఉంది మరియు చాలా ఆస్తి కలిగి ఉంది. అయితే తనకు పిల్లలు లేకపోవడంతో చాలా బాధపడ్డాడు. భగవంతుని దయతో వారికి కొడుకు పుట్టాడు కానీ అతడు మాత్రం ఆయువు తక్కువ. 16 ఏళ్ల వయసులో పాము కాటుకు గురై చనిపోతాడని శపించాడు. యాదృచ్ఛికంగా, అతను 16 ఏళ్లు నిండకముందే, తల్లి…

અન્નપૂર્ણા વ્રત કથા

|| અન્નપૂર્ણા વ્રત કથા || જે સ્થળે ઘર ના રસોડામાં દેવી અન્નપૂર્ણાનું ચિત્ર અથવા છબી હોવું જોઈએ અને નિત્ય જમવાનું કરતા પહેલા તેમની પૂજા જરૂર કરવી. આ રીતે કાયૅ કરવાથી તમારા ઘરમાં ક્યારેય ભોજનની કમી રહેતી નથી. દરરોજ સવારે ભોજન બનાવતા પહેલા હંમેશા સ્નાન કરો અથવા હાથ પગ ઘોવો પવિત્ર થાવ. તે પછી રસોઈ ઘરમાં…

माता सीता की जन्म कथा

।। माता सीता की जन्म कथा ।। रामायण में माता सीता को जानकी कहकर भी संबोधित किया गया है। देवी सीता मिथिला के राजा जनक की पुत्री थीं इसलिए उन्हें जानकी भी कहा जाता है। सीता मिथिला (सीतामढ़ी, बिहार) में जन्मी थी, यह स्थान आगे चलकर सीतामढ़ी से विख्यात हुआ। देवी सीता मिथिला के नरेश…

आषाढ़ी एकादशी व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| पूजा विधि || देवशयनी एकादशी व्रत रखने आले श्रद्धालुओं को प्रात:काल उठकर स्नान करना चाहिए। पूजा स्थल को साफ करके भगवान विष्णु की प्रतिमा को आसन पर विराजमान करके भगवान का षोडशोपचार पूजन करें। भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, पीले फूल, पीला चंदन चढ़ाएं। उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म सुशोभित करें।…

पशुपति व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| पशुपति व्रत विधि || ⦿ आप पशुपति व्रत जिस सोमवार से करना प्रारंभ कर रहे हैं। उस सोमवार को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर पांच सोमवार व्रत करने का संकल्प लें। ⦿ फिर आप अपने आस-पास के शिवालय (मंदिर) जाएं। ⦿ अपनी पूजा की थाली में (धूप, दीप, चंदन, लाल चंदन, विल्व पत्र,…

श्री विजया एकादशी व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| पूजा विधि || सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। भगवान की आरती करें। भगवान को भोग लगाएं। इस…

स्कंद षष्ठी व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| पूजन || स्कंद षष्ठी के अवसर पर शिव-पार्वती को पूजा जाता है। मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इसमें स्कंद देव (कार्तिकेय) की स्थापना करके पूजा की जाती है तथा अखंड दीपक जलाए जाते हैं। || महत्त्व || भगवान स्कंद शक्ति के अधिदेव हैं, देवताओं ने इन्हें अपना सेनापतित्व प्रदान किया था। मयूर…

परमा एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

।। परमा एकादशी पूजा विधि ।। सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें, भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें, अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें विष्णु चालीसा का पाठ और आरती जरूर…

कामिका एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

॥ कामिका एकादशी पूजा विधि ॥ इस एकादशी के व्रत की विधि दशमी से ही शुरू हो जाती है। इस व्रत को रखने वाले साधक को सात्विक भोजन करना चाहिए और अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। एकादशी के दिन सुबह जल्दी स्नान कर लेना चाहिए। उसके बाद विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए। पूजा…

श्री शीतला अष्टमी व्रत कथा

|| शीतलाष्टमी कथा || एक बार शीतला माता ने सोचा कि चलो आज देखूं कि धरती पर मेरी पूजा कौन करता है, कौन मुझे मानता है। यही सोचकर शीतला माता धरती पर राजस्थान के डुंगरी गाँव में आईं और देखा कि इस गाँव में मेरा मंदिर नहीं है, और ना ही मेरी पूजा होती है। माता शीतला…

पूर्णिमा व्रत कथा

|| पूर्णिमा व्रत का महत्व || पूर्णिमा तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इसे धन दायक और संतान दायक व्रत माना गया है। जो लोग पूरे विधि विधान से पूर्णिमा का व्रत करते हैं और ||पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का अर्घ देते हैं उनपर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा होती…

श्री गोगा नवमी व्रत कथा

|| गोगा नवमी की पूजन विधि || भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमी को सुबह जल्दी उठ कर नहा धोकर खाना, खीर, चूरमा, गुलगुले आदि बनाकर जब मिट्टी की मूर्तियां लेकर महिलाएं आती हैं तो इनकी पूजा होती है। रोली, चावल से टीका कर बनी हुई रसोई का भोग लगाएं, गोगाजी के घोड़े के आगे दाल…

माता वैष्णो देवी की कथा

|| वैष्णो देवी मंदिर की कथा || मंदिर के संबंध में कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं। एक बार त्रिकुटा की पहाड़ी पर एक सुंदर कन्या को देखकर भैरवनाथ उससे पकड़ने के लिए दौड़े। तब वह कन्या वायु रूप में बदलकर त्रिकूटा पर्वत की ओर उड़ चलीं। भैरवनाथ भी उनके पीछे भागे। माना जाता है…

प्रदोष व्रत कथा और पूजा विधि

॥ प्रदोष व्रत कथा पूजा विधि ॥ इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर व्रत का संकल्प लें। भगवान शिव का अभिषेक करें। उन्हें उनकी प्रिय वस्तुओं का भोग लगाएं। व्रत रखने वाले लोग इस दिन फलाहार ग्रहण करते हैं। प्रदोष व्रत की पूजा शाम को प्रदोष काल यानी की गोधूली बेला में…

श्री खाटू श्याम जी कथा

|| श्री खाटू श्याम जी कथा || महाभारत काल में लगभग साढ़े पांच हज़ार वर्ष पहले एक महान आत्मा का अवतरण हुआ जिसे हम भीम पौत्र बर्बरीक के नाम से जानते हैं महीसागर संगम स्थित गुप्त क्षेत्र में नवदुर्गाओं की सात्विक और निष्काम तपस्या कर बर्बरीक ने दिव्य बल और तीन तीर व धनुष प्राप्त…

पद्मिनी (कमला) एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

।। पद्मिनी एकादशी पूजा विधि ।। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पद्मिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपनी दोनों हथेलियों को देखते हुए इस मंत्र का जाप करें। मंत्र कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती । करमूले तु गोविन्द: प्रभाते करदर्शनम् ।। इसके बाद स्नानादि ने निवृत्त होकर पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें….

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