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येषां न विद्या – श्लोक अर्थ सहित

Yesham Na Vidya Shloka Hindi

MiscShloka (श्लोक संग्रह)English
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|| येषां न विद्या – श्लोक ||

येषां न विद्या न तपो न दानं
ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः |
ते मर्त्यलोके भुवि भारभूता
मनुष्यरूपेण मृगश्चरन्ति ||

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित: जिनके पास न विद्या है, न तप, न दान, न ज्ञान, न शील, न गुण, और न धर्म – वे मनुष्यलोक में मनुष्य रूप आकर भी में आकर मृग (पशु) के रूप में घूमते हैं, पृथ्वी पर बोझ (भार) होते हैं। यह श्लोक जीवन में नैतिकता, शिक्षा, साधना, सेवा और गुणों की महत्वपूर्णता को प्रकट करता है। यह कहता है कि जिन लोगों के पास ये गुण और धार्मिकता नहीं होती, वे मानवीय मानवता से विच्छेदित हो जाते हैं और उन्हें केवल शरीर में मृग की तरह घूमना पड़ता है, उनका जीवन अधम और अर्थहीन हो जाता है।

Yesham na vidya na tapo na danam,
jnanam na shilam na guno na dharmah,
Te martya-loke bhuvi bhara-bhuta,
manushya-rupena mrigash-charanti.

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English: Those who lack knowledge, austerity, charity, wisdom, character, virtues, and righteousness, they wander in the human world in the form of humans but are burdened as beasts, roaming the Earth.

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