श्रीमातृकाचक्र विवेक पुस्तक एक गहन और आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो भारतीय तंत्र परंपरा में मातृकाचक्र के रहस्यों और उसके विवेक (ज्ञान) को उजागर करता है। यह पुस्तक तंत्र साधना, मातृका अक्षरों के प्रभाव, और उनके गूढ़ अर्थों को समझने के लिए एक अमूल्य साधन है।
पुस्तक के लेखक श्री कृष्णानंद बुढोलिया जी और उनके गुरु श्री शिवानंद जी हैं। श्री कृष्णानंद बुढोलिया जी एक प्रतिष्ठित तंत्र साधक और विद्वान हैं। उन्होंने तंत्र साहित्य के गूढ़ पहलुओं को साधकों और जिज्ञासुओं के लिए सरल और व्यावहारिक भाषा में प्रस्तुत किया है। उनके मार्गदर्शक, श्री शिवानंद जी, स्वयं एक महान आध्यात्मिक गुरु और तंत्र ज्ञान के प्रकांड पंडित थे। उनकी शिक्षाओं और मार्गदर्शन से ही यह ग्रंथ संभव हो पाया।
श्रीमातृकाचक्र विवेक पुस्तक की मुख्य विशेषताएं
- पुस्तक में मातृकाचक्र के हर अक्षर का गहन विश्लेषण किया गया है। संस्कृत वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर को दिव्य ऊर्जा और ब्रह्मांडीय शक्ति का वाहक बताया गया है।
- इसमें यह समझाया गया है कि कैसे मातृकाचक्र के माध्यम से साधक अपनी चेतना को जागृत कर सकते हैं और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। यह पुस्तक साधकों को तंत्र योग, मंत्र जप, और ध्यान विधियों के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है।
- यह पुस्तक न केवल शास्त्रीय ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि लेखक के व्यक्तिगत अनुभवों और साधना से उपजे ज्ञान का भी समावेश करती है।
श्रीमातृकाचक्र विवेक पुस्तक क्यों पढ़ें?
- यदि आप तंत्र साधना के गूढ़ रहस्यों को समझना चाहते हैं।
- यदि आप भारतीय तंत्र परंपरा और मातृकाचक्र के महत्व को जानने के इच्छुक हैं।
- यदि आप अपने आध्यात्मिक जीवन में उन्नति की ओर बढ़ना चाहते हैं।