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भविष्य मालिका पुराण (Bhavishya Malika Puran)

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भविष्य मलिका भारतीय आध्यात्मिक साहित्य का एक विशिष्ट ग्रंथ है, जो भविष्यवाणियों और रहस्यमय ज्ञान का संग्रह है। इसे भगवान जगन्नाथ के परम भक्त और संत अच्युतानंद दास द्वारा रचित माना जाता है। यह ग्रंथ उड़ीसा की प्राचीन संस्कृति, परंपराओं और आध्यात्मिक धरोहर का अद्भुत परिचायक है।

भविष्य मलिका न केवल उड़ीसा के लोगों के लिए, बल्कि पूरे भारत के आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के लिए एक अनमोल धरोहर है। यह ग्रंथ न केवल भविष्यवाणियों का वर्णन करता है, बल्कि धार्मिकता, सत्य, और कर्तव्यपालन के महत्व को भी दर्शाता है।

भविष्य मलिका पुस्तक की विशेषताएँ

  • भविष्य मलिका में आने वाले युगों और घटनाओं से संबंधित कई महत्वपूर्ण भविष्यवाणियाँ शामिल हैं। यह ग्रंथ प्राकृतिक आपदाओं, सामाजिक परिवर्तनों और आध्यात्मिक पुनर्जागरण की भविष्यवाणी करता है।
  • यह ग्रंथ आध्यात्मिक चेतना और धर्मपालन का संदेश देता है। इसमें मानव जीवन की समस्याओं और उनके समाधान के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
  • भविष्य मलिका में भगवान जगन्नाथ और उनसे जुड़ी परंपराओं का भी विस्तृत वर्णन मिलता है। इसमें भगवान के चमत्कार और उनके भक्तों के साथ जुड़ी कथाओं का उल्लेख है।

भविष्य मालिका 2025 की भविष्यवाणियां

धरती के तीन चरण, भविष्य मालिका किताब के अनुसार, पृथ्वी तीन प्रमुख चरणों से गुजरेगी।

  • कलियुग का अंत
  • महाविनाश का दौर
  • नए युग का आरंभ

शनि का मीन राशि में प्रवेश और भारत पर प्रभाव

साल 2025 में शनि ग्रह कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश करेंगे। इस बदलाव से भारत में संकट के बादल छा सकते हैं। वहीं, इस समय कुछ अद्भुत और अनजानी खोजें भी होंगी, जो मानव जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होंगी।

रहस्यमयी संतों का आगमन

भविष्यवाणी के अनुसार, हिमालय में तपस्या कर रहे चमत्कारी और रहस्यमयी संतों का आगमन होगा। ये संत हजारों वर्षों से जीवित बताए जाते हैं और अपने साथ असाधारण शक्तियां लेकर आएंगे।

अंतरिक्ष में भारत का वर्चस्व

साल 2025 में भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाएगा और एक नई सत्ता स्थापित करेगा।

युग परिवर्तन और मुक्तिदाता का आगमन

2025 को युग परिवर्तन का वर्ष बताया गया है। इस दौरान एक मुक्तिदाता का आगमन होगा, जिसे सभी स्वीकार करेंगे। यह मुक्तिदाता पूर्व का कोई सम्राट होगा।

27 अक्टूबर 2025 और जलवायु परिवर्तन

27 अक्टूबर 2025 को मेष राशि के प्रभाव में तीसरे प्रकार की जलवायु का अनुभव होगा। इस दौरान एशिया का राजा मिस्र का सम्राट बनेगा।

  • दुनिया को युद्ध, मृत्यु और बड़े नुकसान का सामना करना पड़ेगा।
  • न्यूट्रॉन बम का उपयोग होने की संभावना है, जिससे तुरंत जीवन समाप्त हो सकता है।
  • ऐसा माना जाता है कि यह घटना एशिया के एक शक्तिशाली नेता के कारण हो सकती है।

पांच नदियों के द्वीप का महान नेता

एक भविष्यवाणी के अनुसार, “पांच नदियों के प्रसिद्ध द्वीप” में एक महान नेता का उदय होगा।

  • इस नेता का नाम ‘वरण’ या ‘शरण’ होगा।
  • वह अपने शत्रु का अंत करेगा, जिसके परिणामस्वरूप 6 लोगों की मृत्यु होगी।

‘शायरन’ का उदय

दुनिया का महान नेता ‘शायरन’ बनेगा।

  • शुरुआत में सभी उसे प्यार करेंगे, लेकिन बाद में वह भय का कारण बनेगा।
  • उसकी ख्याति आसमान छूएगी और वह विजेता के रूप में पहचाना जाएगा।

अनूठी खगोलीय घटनाएं

  • एक महान सितारा 7 दिनों तक जलेगा।
  • बादलों से दो सूरज प्रकट होंगे।
  • एक बड़ा कुत्ता सारी रात रोएगा।
  • एक महान पोप अपने देश को छोड़ देगा।

भविष्य मालिका के अनुसार कलियुग के अंत में क्या होगा?

  • भविष्य मालिका के अनुसार, कलियुग के अंत में दुनिया में सनातन धर्म से जुड़े प्रतीक चिन्ह दिखाई देने लगेंगे। जल प्रलय और प्राकृतिक आपदाओं के कारण पुराने गांव और शहर दोबारा प्रकट होंगे।
  • भविष्यवाणी के अनुसार, केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और अमरनाथ गुफा जैसे पवित्र तीर्थ स्थानों के लुप्त होने और भगवान के वहां से चले जाने के संकेत दिए गए हैं। इन तीर्थ स्थलों का लुप्त होना महाविनाश के प्रारंभ के रूप में बताया गया है।
  • प्राकृतिक बदलाव और अधर्म के बढ़ने के कारण कई देव स्थान या तो लुप्त हो जाएंगे या विलुप्ति की कगार पर पहुंच जाएंगे। इसका मुख्य कारण पृथ्वी का बढ़ता तापमान, प्राकृतिक आपदाएं और अधर्म का प्रभाव माना गया है। इसके पश्चात महाविनाश और युद्ध की शुरुआत होगी।
  • महाविनाश के बाद भगवान कल्कि अनंत माधन, देव स्थलों की पुनः स्थापना करेंगे। चौथे धर्मयुद्ध के रूप में यह महायुद्ध धर्म और अधर्म के बीच होगा।
  • भविष्यवाणी में यह भी कहा गया है कि महाभारत के युद्ध में जो लोग भाग नहीं ले सके थे, वे इस महायुग के धर्मयुद्ध में भाग लेंगे और भगवान कल्कि का साथ देंगे।
  • महाविनाश से पहले भगवान शिव द्वारा धरती पर कई बदलाव किए जाएंगे। इन बदलावों में सतयुग से संबंधित अवशेष सामने आएंगे, और कई प्राचीन मंदिर या धर्मस्थल विलुप्त हो जाएंगे। इन घटनाओं के साथ ही चौथा धर्मयुद्ध महाविनाश का कारण बनेगा।

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