॥ आरती ॥
ॐ जय जिनवाणी माता, ॐ जय जिनवाणी माता,
तुमको निशदिन ध्यावे, सुरनर मुनि ज्ञानी ॥
श्री जिनगिरिथी निकसी, गुरु गौतम वाणी,
जीवन भ्रम तम नाशन, दिपक दरशाणी ॥
ॐ जय जिनवाणी माता…
कुमत कुलाचल चूरन, वज्र सम सरधानी।
नव नियोग निक्षेपन, देखत दरपानी ॥
ॐ जय जिनवाणी माता…
पातक पंक पखालन, पुन्य परम वाणी।
मोह महार्णव डूबता, तारन नौकाणी ॥
ॐ जय जिनवाणी माता…
लोका लोक निहारन, दिव्य नयन स्थानी।
निज पर भेद दिखावन, सुरज किरणानी ॥
ॐ जय जिनवाणी माता…
श्रावक मुनिगण जननी, तुम ही गुणखानी।
सेवक लख सुखदायक, पावन परमाणी ॥
ॐ जय जिनवाणी माता, ॐ जय जिनवाणी माता,
तुमको निश दिन ध्यावे, सुरनर मुनि ज्ञानी॥
Found a Mistake or Error? Report it Now