।। आरती ।।
आरती करो रे,
तेरहवें जिनवर विमलनाथ की
आरती करो रे।।
कृतवर्मा पितु राजदुलारे,
जयश्यामा के प्यारे।
कम्पिलपुरि में जन्म लिया है,
सुर नर वंदें सारे।।
निर्मल त्रय ज्ञान सहित
स्वामी की आरती करो रे।।
आरती करो रे…
शुभ ज्येष्ठ वदी दशमी प्रभु की,
गर्भागम तिथि मानी जाती।
है जन्म और दीक्षा कल्याणक,
माघ चतुर्थी सुदि आती।।
मनःपर्यय ज्ञानी तीर्थंकर
की आरती करो रे।।
आरती करो रे…
सित माघ छट्ठ को ज्ञान हुआ,
धनपति शुभ समवसरण रचता।
दिव्यध्वनि प्रभु की खिरी और
भव्यों का मन कुमुद खिलता।।
केवलज्ञानी अर्हत प्रभु की
आरती करो रे।।
आरती करो रे…
आषाढ़ वदी अष्टमी तिथि थी,
पंचम गति प्रभुवर ने पाई।
शुभ लोक शिखर पर राजे जा,
परमातम ज्योती प्रगटाई।।
उन सिद्धिप्रिया के अधिनायक
की आरती करो रे।।
आरती करो रे…
हे विमल प्रभू! तव चरणों में,
बस एक आशा यह है मेरी।
मम विमल मती हो जावे प्रभु,
मिल जाए मुझे भी सिद्धगती।।
चंदना स्वात्मसुख पाने
हेतू आरती करो रे।।
आरती करो रे…
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