।। दोहा ।।
अरिहंत सिद्ध आचार्य को
निसदिन करुं प्रणाम |
उपाध्याय सर्वसाधू जी
करें स्वपर कल्याण ||
प्रभु मुनिसुव्रतनाथ का
मंदिर पावन धाम |
श्याम वर्ण अद्भूत प्रतिमा
को कोटि-कोटि प्रणाम ||
।। चोपाई ।।
जय मुनिसुव्रत दया के सागर,
नाम प्रभु का लोक उजागर ||
राजा सुमित्रा के तुम नन्दा,
मां शामा की आंखो के चन्दा ||
श्यामवर्ण प्रभू मूरत प्यारी,
स्तुति करें निशदिन नर नारी ||
मुनिसुव्रत हो अन्तरयामी,
लोका लोक जगत हितकारी ||
जो तुम भक्ति निशदिन करता,
पाप ताप भय संकट-हरता ||
संकटमोचन नाम तुम्हारा,
दीन दुखी तुम ही का सहारा ||
कोई दरिद्री या तन का रोगी,
प्रभू दर्शन से होते निरोगी ||
मिथ्या तिमिर भयो अति भारी,
भव की बाधा हरो हमारी ||
यह संसार महा दुख दाई,
सुख दुख की गहरी हैं खाई ||
मोह जाल में फंसा है बंदा,
काटो प्रभु भव भव का फंदा ||
रोग शोक भय व्याधि मिटावो,
भव सागर से पार लगावो ||
अशुभ कर्म से अब तक भटका,
मोह माया बन्धन में अटका ||
योग-वियोग और भव का नाता,
राग द्वेष जग में भटकाता ||
हित मित प्रिय प्रभू तुमरी वाणी,
जग कल्याण करो मुनि ध्यानी ||
भव सागर में नाव हमारी,
पार करो प्रभु विरद हमारी ||
अब विवेक मेरा हैं जागा,
दर्शन करत कर्ममल भागा ||
नाम आपका जपे जो कोई,
तीन लोक की सम्पदा पाई ||
कृपा दृष्टी जब आपकी होवे,
धन आरोग्य समृधि पावे ||
प्रभु चरणन में जो कोई आवे,
मनवांच्छित फल तुमसे पावे ||
चमत्कार प्रभु आपका न्यारा,
संकट मोचन नाम तुम्हारा ||
तुम सर्वज्ञ चतुष्टय धारी,
मन वच तन वंदना हमारी ||
गिरी सम्मेद से मोक्ष सिधारे,
आया अब मैं शरण तिहांरे ||
महाराष्ट्र का पैठण तीर्थ,
अतिशय क्षेत्र की अद्भूत कीरत ||
मन्दिर की रचना है न्यारी,
वीतराग प्रतिमा सुखकारी ||
श्याम वर्ण मूर्ति है निराली,
मुनिसुव्रत की छवि है प्यारी ||
मानस्तंभ की शोभा न्यारी,
देखत मान कषाय निवारी ||
मुनिसुव्रत शनिग्रह अधिष्ठाता,
दुख संकट हरे दे सुख साता ||
शनि अमावस की महिमा भारी,
दर्शन को आते नर नारी ||
मुनिसुव्रत दर्शन हितकारी,
मन वच तन वंदना हमारी ||
मुनिसुव्रत दर्शन हितकारी,
मन वच तन वंदना हमारी ||
|| सोरठा ||
प्रभु मुनिसुव्रत का चालीसा,
नित प्रीत पढ़े जो कोय |
पावे भौतिक सम्पदा,
सुख दुःख बन्ध न होय ||
Found a Mistake or Error? Report it Now