भारत अपनी प्राचीन और समृद्ध संस्कृति के लिए विश्वभर में जाना जाता है। यहां ऐसे कई मंदिर और ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं, जो न केवल अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि अपने रहस्यमयी पहलुओं के कारण भी लोगों को आश्चर्यचकित करते हैं। ऐसा ही एक अद्भुत और रहस्यमय मंदिर है आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित वीरभद्र मंदिर, जिसे लेपाक्षी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
यह मंदिर अपनी शानदार नक्काशी, विशाल मूर्तियों और विशेष रूप से एक ऐसे खंभे के लिए प्रसिद्ध है, जो जमीन को छूता तक नहीं और हवा में झूलता हुआ प्रतीत होता है! यह सुनकर आश्चर्य होना स्वाभाविक है कि आखिर एक पत्थर का खंभा बिना किसी सहारे के कैसे टिका रह सकता है? यही रहस्य वीरभद्र मंदिर को एक अनूठा और दर्शनीय स्थल बनाता है।
वीरभद्र मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
वीरभद्र मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के शासनकाल में हुआ था। इसका निर्माण दो भाइयों, विरुपन्ना और वीरन्ना द्वारा करवाया गया था, जो राजा अच्युतराय के अधीन कार्यरत थे। मंदिर भगवान शिव के एक उग्र रूप, वीरभद्र को समर्पित है। मंदिर परिसर में कई अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं, जिनमें भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और हनुमान प्रमुख हैं।
मंदिर की वास्तुकला विजयनगर शैली का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है। यहां जटिल नक्काशीदार खंभे, ऊंचे गोपुरम और विशाल प्रांगण देखने को मिलते हैं। मंदिर की दीवारों और छतों पर रामायण, महाभारत और अन्य पौराणिक कथाओं के दृश्य उकेरे गए हैं, जो उस समय की कला और संस्कृति की जीवंत गाथा कहते हैं।
झूलता हुआ खंभा – गुरुत्वाकर्षण को चुनौती
वीरभद्र मंदिर का सबसे आश्चर्यजनक पहलू है इसका एक खंभा, जो मंदिर के मुख्य गर्भगृह के एक कोने में स्थित है। यह खंभा जमीन से थोड़ा ऊपर उठा हुआ है और हवा में झूलता हुआ प्रतीत होता है। आप आसानी से इसके नीचे से कपड़ा या कागज निकाल सकते हैं। सदियों से यह खंभा वैज्ञानिकों, इतिहासकारों और आम लोगों के लिए एक रहस्य बना हुआ है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह खंभा मंदिर की दिव्य शक्ति का प्रतीक है। कई लोग इसके नीचे से कपड़ा निकालकर यह देखने की कोशिश करते हैं कि क्या वास्तव में यह जमीन को नहीं छू रहा है।
झूलते हुए खंभे का रहस्य
हालांकि इस खंभे के झूलने के पीछे कोई आधिकारिक वैज्ञानिक व्याख्या मौजूद नहीं है, लेकिन कुछ संभावित कारण बताए जाते हैं:
- कुछ लोगों का मानना है कि मंदिर के निर्माण के दौरान शायद कोई तकनीकी त्रुटि हुई होगी, जिसके कारण यह खंभा जमीन से थोड़ा ऊपर रह गया। हालांकि, इतना सटीक रूप से एक खंभे को इस प्रकार से बनाना कि वह सदियों तक टिका रहे और झूलता रहे, यह एक सामान्य त्रुटि से कहीं अधिक प्रतीत होता है।
- यह भी संभावना जताई जाती है कि किसी प्राचीन भूकंप के कारण मंदिर की नींव में कुछ बदलाव आया होगा, जिससे यह खंभा अपनी जगह से थोड़ा खिसक गया हो। हालांकि, मंदिर के अन्य हिस्सों पर भूकंप का कोई विशेष प्रभाव दिखाई नहीं देता है।
- कुछ वास्तुकारों का मानना है कि यह खंभा मंदिर की पूरी संरचना के संतुलन का एक हिस्सा हो सकता है। इसे इस प्रकार से डिजाइन किया गया होगा कि यह अन्य खंभों और दीवारों पर पड़ने वाले भार को संतुलित करे, जिसके कारण यह जमीन से थोड़ा ऊपर उठा हुआ है।
वीरभद्र मंदिर के अन्य आकर्षण
झूलते हुए खंभे के अलावा, वीरभद्र मंदिर में देखने लायक और भी बहुत कुछ है:
- विशाल नंदी की मूर्ति: मंदिर के बाहर एक ही पत्थर से बनी भारत की सबसे बड़ी नंदी (भगवान शिव का वाहन) की मूर्ति स्थापित है। यह मूर्ति लगभग 27 फीट लंबी और 15 फीट ऊंची है, जो अपनी भव्यता से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
- विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां: मंदिर परिसर में भगवान गणेश, दुर्गा, काली और अन्य देवी-देवताओं की सुंदर और कलात्मक मूर्तियां स्थापित हैं।
- छत पर बनी पेंटिंग: मंदिर की छत पर विजयनगर काल की अद्भुत पेंटिंग बनी हुई हैं, जो उस समय की कला और संस्कृति को दर्शाती हैं। हालांकि समय के साथ इन पेंटिंग का रंग कुछ फीका पड़ गया है, लेकिन इनकी सुंदरता आज भी बरकरार है।
- कल्याण मंडपम: मंदिर में एक विशाल कल्याण मंडपम (विवाह मंडप) भी है, जिसके खंभों पर सुंदर नक्काशी की गई है।
कैसे पहुंचे वीरभद्र मंदिर
वीरभद्र मंदिर आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए आप निम्नलिखित मार्गों का उपयोग कर सकते हैं:
- हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा बेंगलुरु अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो लेपाक्षी से लगभग 120 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी या बस द्वारा लेपाक्षी पहुंच सकते हैं।
- रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन हिंदूपुर है, जो लेपाक्षी से लगभग 15 किलोमीटर दूर है। हिंदूपुर से लेपाक्षी के लिए बसें और टैक्सियां आसानी से उपलब्ध हैं।
- सड़क मार्ग: लेपाक्षी सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप अनंतपुर, बेंगलुरु और अन्य आसपास के शहरों से बस या टैक्सी द्वारा यहां पहुंच सकते हैं।
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