॥श्री राधिका धिपाष्टकम्॥
चतुर्मुखादिसंस्तुतं समस्तसात्वतानुतम्
हलायुधादिसंयुतं नमामि राधिकाधिपम् ॥
बकादिदैत्यकालकं सगोपगोपिपालकम्
मनोहरासितालकं नमामि राधिकाधिपम् ॥
सुरेन्द्रगर्वभञ्जनं विरञ्चिमोहभञ्जनम्
व्रजाङ्गनानुरञ्जनं नमामि राधिकाधिपम् ॥
मयूरपिच्छमण्डनं गजेन्द्रदन्तखण्डनम्
नृशंसकंसदण्डनं नमामि राधिकाधिपम् ॥
प्रदत्तविप्रदारकं सुदामधामकारकम्
सुरद्रुमापहारकं नमामि राधिकाधिपम् ॥
धनञ्जयजयावहं महाचमूक्षयावहम्
पितामहव्यथापहं नमामि राधिकाधिपम् ॥
मुनीन्द्रशापकारणं यदुप्रजापहारणम्
धराभरावतारणं नमामि राधिकाधिपम् ॥
सुवृक्षमूलशायिनं मृगारिमोक्षदायिनम्
स्वकीयधाममायिनं नमामि राधिकाधिपम् ॥
इदं समाहितो हितं वराष्टकं सदा मुदा
जपञ्जनो जनुर्जरादितो द्रुतं प्रमुच्यते ॥
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