|| आरती ||
ओम जय नरसिंह हरे,
प्रभु जय नरसिंह हरे |
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,
जनका ताप हरे ||
|| ओम जय नरसिंह हरे… ||
तुम हो दिन दयाला,
भक्तन हितकारी,
प्रभु भक्तन हितकारी |
अद्भुत रूप बनाकर,
अद्भुत रूप बनाकर,
प्रकटे भय हारी ||
|| ओम जय नरसिंह हरे… ||
सबके ह्रदय विदारण,
दुस्यु जियो मारी,
प्रभु दुस्यु जियो मारी |
दास जान आपनायो,
दास जान आपनायो,
जनपर कृपा करी ||
|| ओम जय नरसिंह हरे… ||
ब्रह्मा करत आरती,
माला पहिनावे,
प्रभु माला पहिनावे |
शिवजी जय जय कहकर,
पुष्पन बरसावे ||
|| ओम जय नरसिंह हरे… ||
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