श्री झूलेलाल चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को जल-देवता वरुण देव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और सफलता आती है। यह चालीसा भगवान झूलेलाल को समर्पित है, जिन्हें सिंध प्रांत में वरुण देव का अवतार माना जाता है। इसका नियमित पाठ करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
|| श्री झूलेलाल चालीसा (Jhulelal Chalisa PDF) ||
॥ दोहा ॥
जय जय जल देवता, जय ज्योति स्वरूप ।
अमर उडेरो लाल जय, झुलेलाल अनूप ॥
॥ चौपाई ॥
रतनलाल रतनाणी नंदन ।
जयति देवकी सुत जग वंदन ॥
दरियाशाह वरुण अवतारी ।
जय जय लाल साईं सुखकारी ॥
जय जय होय धर्म की भीरा ।
जिन्दा पीर हरे जन पीरा ॥
संवत दस सौ सात मंझरा ।
चैत्र शुक्ल द्वितिया भगऊ वारा ॥
ग्राम नसरपुर सिंध प्रदेशा ।
प्रभु अवतरे हरे जन कलेशा ॥
सिन्धु वीर ठट्ठा राजधानी ।
मिरखशाह नऊप अति अभिमानी ॥
कपटी कुटिल क्रूर कूविचारी ।
यवन मलिन मन अत्याचारी ॥
धर्मान्तरण करे सब केरा ।
दुखी हुए जन कष्ट घनेरा ॥
पिटवाया हाकिम ढिंढोरा ।
हो इस्लाम धर्म चाहुँओरा ॥
सिन्धी प्रजा बहुत घबराई ।
इष्ट देव को टेर लगाई ॥
वरुण देव पूजे बहुंभाती ।
बिन जल अन्न गए दिन राती ॥
सिन्धी तीर सब दिन चालीसा ।
घर घर ध्यान लगाये ईशा ॥
गरज उठा नद सिन्धु सहसा ।
चारो और उठा नव हरषा ॥
वरुणदेव ने सुनी पुकारा ।
प्रकटे वरुण मीन असवारा ॥
दिव्य पुरुष जल ब्रह्मा स्वरुपा ।
कर पुष्तक नवरूप अनूपा ॥
हर्षित हुए सकल नर नारी ।
वरुणदेव की महिमा न्यारी ॥
जय जय कार उठी चाहुँओरा ।
गई रात आने को भौंरा ॥
मिरखशाह नऊप अत्याचारी ।
नष्ट करूँगा शक्ति सारी ॥
दूर अधर्म, हरण भू भारा ।
शीघ्र नसरपुर में अवतारा ॥
रतनराय रातनाणी आँगन ।
खेलूँगा, आऊँगा शिशु बन ॥
रतनराय घर ख़ुशी आई ।
झुलेलाल अवतारे सब देय बधाई ॥
घर घर मंगल गीत सुहाए ।
झुलेलाल हरन दुःख आए ॥
मिरखशाह तक चर्चा आई ।
भेजा मंत्री क्रोध अधिकाई ॥
मंत्री ने जब बाल निहारा ।
धीरज गया हृदय का सारा ॥
देखि मंत्री साईं की लीला ।
अधिक विचित्र विमोहन शीला ॥
बालक धीखा युवा सेनानी ।
देखा मंत्री बुद्धि चाकरानी ॥
योद्धा रूप दिखे भगवाना ।
मंत्री हुआ विगत अभिमाना ॥
झुलेलाल दिया आदेशा ।
जा तव नऊपति कहो संदेशा ॥
मिरखशाह नऊप तजे गुमाना ।
हिन्दू मुस्लिम एक समाना ॥
बंद करो नित्य अत्याचारा ।
त्यागो धर्मान्तरण विचारा ॥
लेकिन मिरखशाह अभिमानी ।
वरुणदेव की बात न मानी ॥
एक दिवस हो अश्व सवारा ।
झुलेलाल गए दरबारा ॥
मिरखशाह नऊप ने आज्ञा दी ।
झुलेलाल बनाओ बन्दी ॥
किया स्वरुप वरुण का धारण ।
चारो और हुआ जल प्लावन ॥
दरबारी डूबे उतराये ।
नऊप के होश ठिकाने आये ॥
नऊप तब पड़ा चरण में आई ।
जय जय धन्य जय साईं ॥
वापिस लिया नऊपति आदेशा ।
दूर दूर सब जन क्लेशा ॥
संवत दस सौ बीस मंझारी ।
भाद्र शुक्ल चौदस शुभकारी ॥
भक्तो की हर आधी व्याधि ।
जल में ली जलदेव समाधि ॥
जो जन धरे आज भी ध्याना ।
उनका वरुण करे कल्याणा ॥
॥ दोहा ॥
चालीसा चालीस दिन पाठ करे जो कोय ।
पावे मनवांछित फल अरु जीवन सुखमय होय ॥
|| श्री झूलेलाल चालीसा पाठ विधि ||
झूलेलाल चालीसा का पाठ शुरू करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:
- गुरुवार या शुक्रवार के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। एक साफ और शांत स्थान पर भगवान झूलेलाल की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- एक दीया (तेल का), धूप, फूल, चावल, इलायची, लौंग और प्रसाद (मिठाई या फल) तैयार रखें।
- सबसे पहले, भगवान झूलेलाल का ध्यान करते हुए मन ही मन उनका आह्वान करें।
- अपनी इच्छा को मन में रखते हुए चालीसा पाठ का संकल्प लें।
- श्रद्धा और भक्ति के साथ चालीसा का पाठ करें।
- पाठ पूरा होने के बाद भगवान झूलेलाल की आरती करें और प्रसाद सभी में बांट दें।
|| श्री झूलेलाल चालीसा के लाभ ||
- इस चालीसा के नियमित पाठ से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
- भगवान झूलेलाल की कृपा से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
- व्यापार और नौकरी में सफलता मिलती है, और हर कार्य में उन्नति होती है।
- घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता का संचार होता है।
- जिन लोगों की कुंडली में जल-संबंधी दोष होते हैं, उन्हें इस चालीसा के पाठ से विशेष लाभ मिलता है।
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