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चंद्र ग्रहण दोष निवारण स्तोत्र

Chandragrahana Doshanivarana Stotram Hindi

MiscStotram (स्तोत्र संग्रह)हिन्दी
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|| चंद्र ग्रहण दोष निवारण स्तोत्र ||

योऽसौ वज्रधरो देव आदित्यानां प्रभुर्मतः।

सहस्रनयनश्चन्द्र- ग्रहपीडां व्यपोहतु।

मुखं यः सर्वदेवानां सप्तार्चिरमितद्युतिः।

चन्द्रोपरागसम्भूतामग्निः पीडां व्यपोहतु।

यः कर्मसाक्षी लोकानां यमो महिषवाहनः।

चन्द्रोपरागसम्भूतां ग्रहपीडां व्यपोहतु।

रक्षोगणाधिपः साक्षात् प्रलयानिलसन्निभः।

करालो निर्ऋतिश्चन्द्रग्रहपीडां व्यपोहतु।

नागपाशधरो देवो नित्यं मकरवाहनः।

सलिलाधिपतिश्चन्द्र- ग्रहपीडां व्यपोहतु।

प्राणरूपो हि लोकानां वायुः कृष्णमृगप्रियः।

चन्द्रोपरागसम्भूतां ग्रहपीडां व्यपोहतु।

योऽसौ निधिपतिर्देवः खड्गशूलधरो वरः।

चन्द्रोपरागसम्भूतं कलुषं मे व्यपोहतु।

योऽसौ शूलधरो रुद्रः शङ्करो वृषवाहनः।

चन्द्रोपरागजं दोषं विनाशयतु सर्वदा।

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