|| विघ्नराज स्तुति ||
अद्रिराजज्येष्ठपुत्र हे गणेश विघ्नहन्
पद्मयुग्मदन्तलड्डुपात्रमाल्यहस्तक।
सिंहयुग्मवाहनस्थ भालनेत्रशोभित
कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम्।
एकदन्त वक्रतुण्ड नागयज्ञसूत्रक
सोमसूर्यवह्निमेयमानमातृनेत्रक।
रत्नजालचित्रमालभालचन्द्रशोभित
कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम्।
वह्निसूर्यसोमकोटिलक्षतेजसाधिक-
द्योतमानविश्वहेतिवेचिवर्गभासक।
विश्वकर्तृविश्वभर्तृविश्वहर्तृवन्दित
कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम्।
स्वप्रभावभूतभव्यभाविभावभासक
कालजालबद्धवृद्धबाललोकपालक।
ऋद्धिसिद्धिबुद्धिवृद्धिभुक्तिमुक्तिदायक
कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम्।
मूषकस्थ विघ्नभक्ष्य रक्तवर्णमाल्यधृन्-
मोदकादिमोदितास्यदेववृन्दवन्दित।
स्वर्णदीसुपुत्र रौद्ररूप दैत्यमर्दन
कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम्।
ब्रह्मशम्भुविष्णुजिष्णुसूर्यसोमचारण-
देवदैत्यनागयक्षलोकपालसंस्तुत।
ध्यानदानकर्मधर्मयुक्त शर्मदायक
कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम्।
आदिशक्तिपुत्र विघ्नराज भक्तशङ्कर
दीनानाथ दीनलोकदैन्यदुःखनाशक।
अष्टसिद्धिदानदक्ष भक्तवृद्धिदायक
कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम्।
शैवशक्तिसाङ्ख्ययोगशुद्धवादिकीर्तित
बौद्धजैनसौरकार्मपाञ्चरात्रतर्कित।
वल्लभादिशक्तियुक्त देव भक्तवत्सल
कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम्।
देवदेव विघ्ननाश देवदेवसंस्तुत
देवशत्रुदैत्यनाश जिष्णुविघ्नकीर्तित।
भक्तवर्गपापनाश बुद्धबुद्धिचिन्तित
कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम्।
हे गणेश लोकपालपूजिताङ्घ्रियुग्मक
धन्यलोकदैन्यनाश पाशराशिभेदक।
रम्यरक्त धर्मसक्तभक्तचित्तपापहन्
कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम्।
ये पठन्ति विघ्नराजभक्तिरक्तचेतसः
स्तोत्रराजमेनसोपमुक्तशुद्धचेतसः।
ईप्सितार्थमृद्धिसिद्धिमन्त्रसिद्धभाषिताः
प्राप्नुवन्ति ते गणेशपादपद्मभाविताः।
Found a Mistake or Error? Report it Now