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अगस्त्याष्टकम्

Agastya Ashtakam Sanskrit

MiscAshtakam (अष्टकम संग्रह)संस्कृत
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|| अगस्त्याष्टकम् ||

अद्य मे सफलं जन्म चाद्य मे सफलं तपः ।
अद्य मे सफलं ज्ञानं शम्भो त्वत्पाददर्शनात् ॥ १ ॥

कृतार्थोऽहं कृतार्थोऽहं कृतार्थोऽहं महेश्वर ।
अद्य ते पादपद्मस्य दर्शनाद्भक्तवत्सल ॥ २ ॥

शिवः शम्भुः शिवः शम्भुः शिवः शम्भुः शिवः शिवः ।
इति व्याहरतो नित्यं दिनान्यायान्तु यान्तु मे ॥ ३ ॥

शिवे भक्तिः शिवे भक्तिः शिवे भक्तिर्भवे भवे ।
सदा भूयात्सदा भूयात्सदा भूयात्सुनिश्चला ॥ ४ ॥

अजन्ममरणं यस्य महादेवान्यदैवतम् ।
मा जनिष्यत मद्वंशे जातो वा द्राग्विपद्यताम् ॥ ५ ॥

जातस्य जायमानस्य गर्भस्थस्यापि देहिनः ।
मा भून्मम कुले जन्म यस्य शम्भुर्न दैवतम् ॥ ६ ॥

वयं धन्या वयं धन्या वयं धन्या जगत्त्रये ।
आदिदेवो महादेवो यदस्मत्कुलदैवतम् ॥ ७ ॥

हर शम्भो महादेव विश्वेशामरवल्लभ ।
शिवशङ्कर सर्वात्मन्नीलकण्ठ नमोऽस्तु ते ॥ ८ ॥

अगस्त्याष्टकमेतत्तु यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥ ९ ॥

इत्यगस्त्याष्टकम् ।

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