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अर्हत पुराण (Arhat Puran)

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अर्हत पुराण जैन धर्म के धार्मिक और दार्शनिक मूल्यों पर आधारित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसे स्वतन्त्र जैन ने रचा है। यह ग्रंथ जैन धर्म के तीर्थंकरों, उनकी शिक्षाओं, और उनके जीवन के प्रेरक प्रसंगों का विस्तृत वर्णन करता है। इसके माध्यम से पाठकों को जैन धर्म की गहरी समझ और उसके आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा मिलती है।

अर्हत पुराण में जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांतों, जैसे अहिंसा, अपरिग्रह, सत्य, और संयम, का वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ तीर्थंकरों के जीवन की घटनाओं, उनके उपदेशों, और उनके द्वारा स्थापित धर्म के मूलभूत आदर्शों को उजागर करता है।

अर्हत पुराण पुस्तक की विशेषताएँ

  • पुस्तक में जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों के जीवन चरित्र, उनके उपदेश, और उनके द्वारा किए गए सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का विस्तृत विवरण है।
  • अर्हत पुराण अहिंसा के महत्व पर जोर देता है और इसे जीवन का सर्वोच्च आदर्श मानता है। इसमें यह बताया गया है कि अहिंसा केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और वाणी में भी होनी चाहिए।
  • ग्रंथ में संयम और तप के माध्यम से आत्मा की शुद्धि और मुक्ति का मार्ग बताया गया है।
  • जैन दर्शन के सिद्धांतों, जैसे कर्म सिद्धांत, आत्मा और परमात्मा की अवधारणा, और मोक्ष के मार्ग का गहन विवेचन किया गया है।
  • स्वतन्त्र जैन ने इस ग्रंथ को सरल और सजीव भाषा में लिखा है, जिससे यह हर वर्ग के पाठकों के लिए बोधगम्य और प्रभावशाली बनता है।

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