बाबा मोहन राम, जिन्हें अक्सर ‘कलयुग के देवता’ के रूप में जाना जाता है, हरियाणा और राजस्थान के कई क्षेत्रों में पूजे जाते हैं। उनकी पूजा विशेष रूप से उनके भक्त, संत शिरोमणि काली खोली वाले बाबा के माध्यम से शुरू हुई। माना जाता है कि बाबा मोहन राम अपने भक्तों की हर समस्या को दूर करते हैं और उन्हें सुख-शांति प्रदान करते हैं। उनकी महिमा और चमत्कारों का वर्णन चालीसा में किया गया है।
|| बाबा मोहन राम चालीसा (Baba Mohan Ram Chalisa PDF) ||
जै मन मोहन जग विख्याता।
दीन दुखियों के तुम हो दाता॥
तुम्हरो ध्यान सभी जन धरते।
तुम रक्षा भक्तों की करते॥
काली खोली वास तुम्हारा।
करे सभी जग का निस्तारा॥
ज्योति गुफा में प्यारी जलती।
दूर दूर से दुनिया आती॥
राजिस्थान मिलकपुर ग्राम।
सुन मोहन का सुन्न धाम॥
यहाँ पर जन आ करे बसेरा।
हर दम मारे मोहन फेरा॥
ज्योति में ज्योति मिलाओ मन की।
निस दिन सेवा कर मोहन की॥
जो कोई करत मन से सेवा।
मोहन पार लगावे खेवा॥
सेवा यही हृदय में धर लो।
सबको छोड़ बाप एक कर लो॥
मन को करो न डामा डोल।
दुनिया समझो पोलम पोल॥
अब सुनो सुनाओ मोहन गाथा।
नर और नारी रगड़ें माथा॥
पागल भी आ रज में लेटे।
बांझ नार को दे रहे बेटे॥
ऐसे मोहन भोले भाले।
दुःखियों के दुःख हरने वाले॥
कोढ़िन को वो देते काया।
निर्धन को भर देते माया॥
अंतरयामी मोहन राम।
अड़े समारे सबके काम॥
भूत प्रेत निकट नहीं आवें।
मोहन नाम सुनत भग जावें॥
घी की ज्योति जले दिन बांकी।
मंदिर में मोहन के झांकी॥
सीता फल की गहरी छाया।
सोरन कर दई कोढ़िन काया॥
और सुनो मोहन करतूत।
साठ साल की ले रही पूत॥
नर नारी आ खाबे खींचर।
चुग रहे चुग्गा मोर कबूतर॥
परबत ऊपर बड़ लहरावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
प्रेम भक्ति से जो तुम्हें ध्यावे।
दुःख दारिद्र निकट नहीं आवे॥
मैं मनमोहन दीन घनेरो।
तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो॥
काम क्रोध मद लोभ न सतावे।
रिपु मन मोह अति भरमावै॥
करुऊ कृपा मम खोली वाला।
दास जान मोह करो निहाला॥
जब तक जीऊँ दरश तेरो पाऊँ।
निस दिन ध्यान चरन रज खाऊँ॥
कलयुग मैं तेरी कला सवाई।
कथी न जाय तेरी प्रभुताई॥
तेरी अजब निराली भान।
सत बुद्धि दो मोहन आन॥
हरदम सेवा करूँ तुम्हारी।
धूप दीप नैवेद्य पान सुपारी॥
रोम रोम में मोहन राम।
स्वास स्वास में तुम्हारा नाम॥
मैं अति दीन गरीब दुखहारी।
हरो कलेश भय भंजन भारी॥
नित्य प्रति पांच पाठ कर भाई।
लोक लाज करि सब देओ भुलाई॥
मोहन चालीसा पढ़े पढ़ावे।
अंत समय मोक्ष पद पावे॥
पीछे ना कोई रहे कलेश।
सीधा पहुँचे मोहन देश॥
अब भी मूरख कर कुछ चेत।
अपने उर में मोहन देख॥
विनती यही मेरी अरदास।
मुझे बना लो अपना दास॥
निस दिन तेरी सेवा चाहूँ।
जनम जनम ना नाम भुलाऊँ॥
तेरी भक्ति करो हमेश।
मेरी तुम से यही सन्देश॥
मेरी बोझिल जर जर नईया।
तुम बिन मोहन कौन खिवैया॥
राधे याम ना चाहे मान।
तेरे चरनों में निकले प्रान॥
॥ दोहा॥
ज्योति जले उर भियसती ठंडे बढ़ की छाय।
मोहन राम मुंशी रटत हरदम घट से माय॥
॥ इति श्री बाबा मोहन राम चालीसा ॥
|| बाबा मोहन राम चालीसा पाठ की विधि ||
बाबा मोहन राम चालीसा का पाठ करने की सरल विधि यहाँ दी गई है:
- सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा के लिए एक शांत और पवित्र स्थान चुनें।
- बाबा मोहन राम की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उनके सामने एक दीपक जलाएं और अगरबत्ती या धूपबत्ती लगाएं। आप प्रसाद के रूप में मिश्री, बताशे या कोई अन्य मिठाई भी रख सकते हैं।
- शांत मन से बाबा मोहन राम का ध्यान करते हुए चालीसा का पाठ करें। आप चाहें तो एक बार या ग्यारह बार भी पाठ कर सकते हैं।
- पाठ समाप्त होने के बाद, कुछ देर शांत बैठकर बाबा से अपनी मनोकामनाएं कहें।
- अंत में बाबा मोहन राम की आरती करके पूजा संपन्न करें।
- यह पाठ आप किसी भी दिन कर सकते हैं, लेकिन मंगलवार और शनिवार को इसका विशेष महत्व माना जाता है।
|| बाबा मोहन राम चालीसा पाठ के लाभ ||
बाबा मोहन राम चालीसा का नियमित पाठ करने से कई लाभ होते हैं, जैसे:
- यह मन को शांति प्रदान करता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
- इसका पाठ करने से जीवन के सभी संकट और बाधाएं दूर होती हैं।
- माना जाता है कि यह पाठ शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक है।
- सच्चे मन से पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- यह घर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
Found a Mistake or Error? Report it Now
