Misc

श्री बड़े बाबा कुण्डलपुर चालीसा

Bade Baba Kundalpur Chalisa Hindi Lyrics

MiscBhajan (भजन संग्रह)हिन्दी
Share This

Join HinduNidhi WhatsApp Channel

Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!

Join Now

।। दोहा ।।

दुःख हरन मंगल करन,
महावीर भगवान।
तिनके चरणाविंद को
बार-बार प्रणाम।
श्री धर केवली मोक्ष गये,
कुण्डल गिरी से आय।
तिनके पद को वंदते,
पाप क्लेश मिट जाय।

।। चौपाई ।।

बड़े बाबा का सुमरे नामा,
पूरन होवे बिगड़े कामा।
जिसने नाम जपा प्रभु तेरा,
उठा वहां से कष्ट का डेरा।

बड़े बाबा का जो ध्यान लगावें,
रोग दुःख से मुक्ति पावे।
जीवन नैया फसी मझधार,
तुम ही प्रभु लगावो पार।

आया प्रभु तुम्हारे द्वार,
अब मेरा कर दो उद्धार।
राग द्वेष से किया किनारा,
काम क्रोध बाबा से हारा।

सत्य अहिंसा को अपनाया,
सच्चे सुख का मार्ग दिखाया।
बड़े बाबा का अतिशय भारी,
जिसको जाने सब नर नारी।

भूत प्रेत तुम से घबराये,
शंख डंकनी पास न आवे।
बिन पग चले सुनह बिन काना,
सुमरे प्राणी प्रभु का नामा।

जिस पर कृपा प्रभु की होई,
ताको दुर्लभ काम न कोई।
अतिशय हुआ गिरी पर भारी,
जब श्रावक के ठोकर मारी।

एक श्रावक ठोकर खाता था,
जब पर्वत से आता जाता था।
व्यापर करने को नित्य प्रति जाता,
पर्वत था ठोकर खाता।

संयम और संतोष का धारक,
श्रावक था जिन धर्म का पालक।
ठोकर का ध्यान दिन में रहता,
फिर भी पत्थर से भिड़ जाता।

क्यों न ठोकर का अंत करुँ,
पथिकों का दुःख दूर करुँ।
ले कुदाल पर्वत पर आया,
पर पत्थर को खोद न पाया।

खोदत खोदत वह गया हार,
पर पत्थर का न पाया पार।
अगले दिन आने का प्रण कर
लौट गया वह अपने घर पर।

स्वप्न में सुनी देवी की वाणी,
मत बन रे श्रावक अज्ञानी।
जिसको तू ठोकर समझा है,
ठोकर नहीं प्रभु का उत्तर है।

मूरत खोद निकालू मैं जाकर,
तुम आ जाना गाड़ी लेकर।
विराजमान गाड़ी पर कर दूंगा,
और ग्राम तक पहुंचा दूंगा।

ध्यान ह्रदय में इतना रखना,
अतिशय को पीछे मत लखना।
देव जातिखन श्रावक जागा,
गाड़ी ले पर्वत को भागा।

चहुँ दिश छाई छटा सुहानी,
फ़ैल रही चंदा की चांदनी।
देव दुंदभि बजा रहे थे,
पुष्प चहुँ दिश बरसा रहे थे।

देवों ने प्रतिमा काड़ी और
और प्रभु की महिमा भाखी।
प्रभु मूरत गाड़ी पर राखी,
श्रावक ने तब गाड़ी हांकी।

पवन गति से गाड़ी चली,
प्रभु मूरत तनिक न हाली।
श्रावक अचरज में डूब गया,
प्रभु दर्शन को पलट गया।

तत्क्षण उसका अंत हुआ,
भवसागर से बेड़ा पार हुआ।
जैन समाज पहुंचा पर्वत पर,
मंदिर बनवाया शुभ दिन लखकर।

सूरत है मन हरने वाली,
पद्मासन है मूरत काली।
मन इच्छा को पूरी करते,
खाली झोली को प्रभु भरते।

बड़े बाबा बाधा को हरते,
बिगड़े काम को पूरा करते।
मनकामेश्वर नाम तिहारा,
लगे ह्रदय को प्यारा प्यारा।

प्रभु महिमा दिल्ली तक पहुंची,
दिल्लीपति ने दिल में सोची।
क्यों न मूरत को नष्ट करू,
झूठे अतिशय को दूर कर।

दिल्लीपति था बड़ा अभिमानी,
मूरत तोड़ने की दिल में ठानी।
लशकर ले पर्वत पर आया,
जैन समाज बहुत घबराया।

छेनी लगा हथौड़ी घाला,
मधु बर्रो ने हमला बोला।
नख से बहे दूध की धारा,
जाको मिले न पारम पारा।

अतिशय देख सेना घबराई,
मधु बर्रो ने धूम मचाई।
रहम रहम करके चिल्लाया,
सारी जनता ने हर्ष मनाया।

सेनापति ने शीश झुकाया,
सीधा दिल्ली को तब आया।
अहंकार सब चूर हो गया,
प्रभु अतिशय में स्वयं खो गया।

क्षत्रसाल ने पांव पखारे,
जय बाबा करके जैकारे।
करी याचना अपनी जीत की,
मंदिर के जीर्णोद्धार करन की।

भर उत्साह में हमला बोला,
बड़े बाबा का जयकारा बोला।
शत्रु को फिर धूल चटाई,
आ मंदिर में ध्वजा फहराई।

मंदिर का जीर्णोद्धार किया,
दान दक्षिणा भरपूर दिया।
जो प्रभु चरणों में शीश झुकाये,
दुःख संताप से मुक्ति पाये।

।। सोरठा ।।

चालीसा चालीस दिन पढ़े,
कुण्डल गिरी में आप।

वंश चले और यश मिले,
सुख सम्पत्ति धन पाय।

करें आरती दीप से,
प्रभु चरणों में ध्यान लगाय।

भक्ति भाव पूजन करें,
इच्छा मन फल पाय।

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download HinduNidhi App
श्री बड़े बाबा कुण्डलपुर चालीसा PDF

Download श्री बड़े बाबा कुण्डलपुर चालीसा PDF

श्री बड़े बाबा कुण्डलपुर चालीसा PDF

Leave a Comment

Join WhatsApp Channel Download App