ब्रह्माण्ड पुराण हिंदू धर्म के प्रमुख अठारह महापुराणों में से एक है। इस पुराण का दूसरा भाग विभिन्न विषयों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है, जिनमें सृष्टि की उत्पत्ति, विभिन्न युगों का वर्णन, देवताओं और ऋषियों की कथाएँ शामिल हैं। यहाँ हम ब्रह्माण्ड पुराण के दूसरे भाग के प्रमुख विषयों का वर्णन करेंगे।
ब्रह्माण्ड पुराण – भाग 2 के प्रमुख विषय
- ब्रह्माण्ड पुराण के दूसरे भाग में सृष्टि की उत्पत्ति का वर्णन मिलता है। इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश के कार्यों और उनके द्वारा सृष्टि की रचना का विस्तार से वर्णन है।
- पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश इन पांच तत्वों की उत्पत्ति और उनकी भूमिकाओं का वर्णन भी इस भाग में किया गया है।
- सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग इन चारों युगों का विस्तार से वर्णन है, जिनमें प्रत्येक युग के धर्म, सामाजिक संरचना, और प्रमुख घटनाओं का विवरण मिलता है।
- युगों के परिवर्तन और उनके प्रभावों का वर्णन भी इस भाग में किया गया है।
- विभिन्न देवताओं, जैसे ब्रह्मा, विष्णु, महेश, इंद्र, और अन्य देवताओं की उत्पत्ति और उनके कार्यों का वर्णन है।
- महर्षि वशिष्ठ, विश्वामित्र, नारद, अगस्त्य आदि ऋषियों की कथाएँ और उनके तप, साधना, और शिक्षाओं का वर्णन भी इस भाग में मिलता है।
- सूर्यवंश और चंद्रवंश इन प्रमुख वंशों के राजाओं का विवरण, उनकी विजय गाथाएँ, और उनके शासनकाल की घटनाओं का वर्णन है।
- राजा हरिश्चंद्र, राजा सगर, राजा भगीरथ आदि की कहानियाँ, उनके धर्म, सत्य, और कर्तव्यपालन का विस्तार से वर्णन मिलता है।
- गंगा, यमुना, काशी, प्रयाग आदि प्रमुख तीर्थ स्थलों का महत्त्व और उनकी धार्मिक मान्यताओं का विवरण है।
- तीर्थ यात्रा के महत्व, उनके लाभ, और उन्हें करने के सही समय और विधियों का वर्णन भी इस भाग में किया गया है।
- ब्रह्माण्ड पुराण के अध्ययन से प्राप्त होने वाले धार्मिक और आध्यात्मिक लाभों का वर्णन है।
- इस पुराण में नैतिकता, धर्म, और जीवन के सिद्धांतों की शिक्षा भी दी गई है।