ब्रह्मवैवर्त पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण और विशिष्ट पुराण है। यह पुराण ब्रह्मा, विष्णु, और शिव के रूपों के साथ-साथ देवी राधा और भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में सृष्टि, धर्म, भक्ति, और पौराणिक कथाओं का विस्तृत विवरण मिलता है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण की रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी। इसमें कुल 18,000 श्लोक हैं और यह चार प्रमुख खंडों में विभाजित है: ब्रह्म खंड, प्रकृति खंड, गणपति खंड, और श्रीकृष्ण जन्म खंड। प्रत्येक खंड में विभिन्न विषयों पर विस्तृत जानकारी प्रदान की गई है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्रमुख विषय
- इस खंड में ब्रह्मा की उत्पत्ति, उनकी लीलाओं, और सृष्टि की रचना का वर्णन है। इसमें ब्रह्मा के साथ-साथ अन्य देवताओं और ऋषियों की भी महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है।
- इस खंड में प्रकृति (मूल प्रकृति या आदि शक्ति) की महिमा, उनके विभिन्न रूपों, और सृष्टि की उत्पत्ति का वर्णन है। इसमें देवी पार्वती, सरस्वती, और लक्ष्मी की कथाएँ भी शामिल हैं।
- इस खंड में भगवान गणेश की महिमा, उनकी उत्पत्ति, और उनके विभिन्न लीलाओं का वर्णन है। इसमें गणेश पूजन की विधियाँ और उनके व्रतों का भी विस्तार से वर्णन है।
- इस खंड में भगवान कृष्ण की महिमा, उनके जन्म, बाल लीलाओं, और राधा-कृष्ण की प्रेम कथाओं का वर्णन है। इसमें विशेष रूप से राधा और कृष्ण के प्रेम, उनके दिव्य लीलाओं, और भक्ति का महत्व बताया गया है।