बृहद विमान शास्त्र एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है, जिसे विमान शास्त्र या विमान विद्या के रूप में जाना जाता है। यह ग्रंथ आचार्य भरद्वाज द्वारा रचित माना जाता है और इसमें विभिन्न प्रकार के विमानों, उनके निर्माण, संचालन और उनकी तकनीकी विशेषताओं का विवरण मिलता है। यह ग्रंथ भारतीय पौराणिक साहित्य में विज्ञान और तकनीकी ज्ञान के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
बृहद विमान शास्त्र में विमानों के संचालन, उनकी गति, दिशा और ऊर्जा स्रोतों के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है। इसमें विमान के इंजनों, प्रणालियों और उनके नियंत्रण के लिए तकनीकी ज्ञान का भी वर्णन है। इस ग्रंथ में विमानों के रक्षा उपकरण, युद्ध में उनकी उपयोगिता और विज्ञान के अन्य पहलुओं का भी उल्लेख किया गया है, जो यह संकेत करता है कि प्राचीन भारत में वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान काफी उन्नत था।
विमानों का विवरण
बृहद विमान शास्त्र में विभिन्न प्रकार के विमानों का उल्लेख है, जिन्हें “विमान” कहा गया है। इन विमानों को उड़ने वाले यंत्रों के रूप में वर्णित किया गया है, जो आकाश में गति करने में सक्षम थे। ग्रंथ में विमान के निर्माण में उपयोग होने वाले धातुओं, यंत्रों और ऊर्जा स्रोतों का भी वर्णन है। इसमें चार प्रमुख प्रकार के विमानों का उल्लेख किया गया है:
- शकुना विमान: पक्षी के समान उड़ने वाला विमान।
- सुंदर विमान: सौंदर्य से सुसज्जित और यात्रा के लिए उपयुक्त।
- रुक्म विमान: सोने के रंग का विमान, जो उच्च गति से उड़ सकता था।
- त्रिपुर विमान: यह विमान तीन मंजिलों वाला था और अंतरिक्ष में भी उड़ान भर सकता था।