बृजभूमि, उत्तर प्रदेश का वह पवित्र क्षेत्र है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बाल्यकाल की लीलाएं कीं। यह भूमि मथुरा, वृंदावन, बरसाना, गोकुल, नंदगांव, और गोवर्धन जैसे स्थानों से मिलकर बनी है। यह स्थान भक्तों के लिए मोक्षदायिनी मानी जाती है।
बृजभूमि, भगवान कृष्ण की लीलास्थली, भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यह क्षेत्र अनगिनत मंदिरों और तीर्थस्थलों से भरा हुआ है, जो भगवान कृष्ण और राधा रानी के दिव्य प्रेम और जीवन की विभिन्न घटनाओं को समर्पित हैं। यहां बृजभूमि के कुछ सबसे प्रसिद्ध मंदिरों और महत्वपूर्ण स्थानों का विस्तृत विवरण दिया गया है:
बृजभूमि के सभी प्रसिद्ध मंदिरों की सूची
- श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर – मथुरा
- द्वारकाधीश मंदिर – मथुरा
- बांके बिहारी मंदिर – वृंदावन
- राधा रमण मंदिर – वृंदावन
- राधा बल्लभ मंदिर – वृंदावन
- गोविंद देव जी मंदिर – वृंदावन
- निधिवन – वृंदावन
- सेवा कुंज – वृंदावन
- श्री गिरिराज जी मंदिर – गोवर्धन
- कुसुम सरोवर – गोवर्धन
- श्री राधा रानी मंदिर – बरसाना
- नंद भवन – नंदगांव
- गोकुलनाथ मंदिर – गोकुल
- श्री मदन मोहन मंदिर – वृंदावन
- प्रेम मंदिर – वृंदावन
- इस्कॉन मंदिर – वृंदावन
- यमुनाजी घाट – मथुरा/वृंदावन
- जय गुरुदेव मंदिर – मथुरा
- केशव देव मंदिर
- बिड़ला मंदिर (गीता मंदिर)
- रंगजी मंदिर – वृंदावन
- शाहजी मंदिर
- दानघाटी मंदिर
- कोकिलावन (शनि देव मंदिर)
- काम्यवन
बृजभूमि के प्रसिद्ध मंदिर – विस्तृत विवरण
बृजभूमि, भगवान कृष्ण की लीलास्थली, भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यह क्षेत्र अनगिनत मंदिरों और तीर्थस्थलों से भरा हुआ है, जो भगवान कृष्ण और राधा रानी के दिव्य प्रेम और जीवन की विभिन्न घटनाओं को समर्पित हैं। यहां बृजभूमि के कुछ सबसे प्रसिद्ध मंदिरों और महत्वपूर्ण स्थानों का विस्तृत विवरण दिया गया है:
- श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर: यह मंदिर उस कारागार के स्थान पर बना है जहाँ भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। यह मथुरा के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र मंदिरों में से एक है। मंदिर परिसर में गर्भगृह है, जहाँ कृष्ण का जन्म हुआ था, और साथ ही अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं। यह मंदिर ऐतिहासिक रूप से कई बार नष्ट और पुनर्निर्मित किया गया है, और वर्तमान संरचना में प्राचीनता और आधुनिकता का मिश्रण देखने को मिलता है। जन्माष्टमी के अवसर पर यहां विशेष रूप से भव्य आयोजन होता है।
- द्वारकाधीश मंदिर: मथुरा के मध्य में स्थित यह मंदिर भगवान कृष्ण के एक अन्य रूप, द्वारका के राजा द्वारकाधीश को समर्पित है। यह मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला और जीवंत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में काले रंग की सुंदर मूर्ति स्थापित है। यहां रोजाना कई आरतियां होती हैं, जिनमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं। होली और जन्माष्टमी जैसे त्योहार यहां धूमधाम से मनाए जाते हैं।
- केशव देव मंदिर: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर के पास स्थित, यह मंदिर भगवान केशव देव (कृष्ण के एक अन्य नाम) को समर्पित है। ऐतिहासिक अभिलेखों में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है और यह क्षेत्र के प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है।
- बिड़ला मंदिर (गीता मंदिर): यह आधुनिक मंदिर मथुरा के बाहरी इलाके में स्थित है। मंदिर की दीवारों पर भगवत गीता के श्लोक खुदे हुए हैं, जो इसे एक अद्वितीय आध्यात्मिक स्थल बनाते हैं। मंदिर परिसर शांत और सुंदर है, जो ध्यान और चिंतन के लिए उपयुक्त है।
- जय गुरुदेव मंदिर: मथुरा-दिल्ली राजमार्ग पर स्थित यह मंदिर संत जय गुरुदेव को समर्पित है। यह एक विशाल परिसर है जिसमें मंदिर, आश्रम और एक उद्यान शामिल हैं। मंदिर अपनी आध्यात्मिक गतिविधियों और सामाजिक कार्यों के लिए जाना जाता है।
- यमुनाजी घाट: मथुरा और वृंदावन दोनों शहरों के किनारे यमुना नदी के कई महत्वपूर्ण घाट स्थित हैं। ये घाट सदियों से तीर्थयात्रियों के लिए पवित्र स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों के केंद्र रहे हैं। विश्राम घाट मथुरा का सबसे प्रसिद्ध घाट है, जहाँ माना जाता है कि कंस का वध करने के बाद कृष्ण ने विश्राम किया था। वृंदावन में केशी घाट और चीर घाट जैसे कई महत्वपूर्ण घाट हैं, जिनका पौराणिक महत्व है।
- बांके बिहारी मंदिर: वृंदावन के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक, बांके बिहारी मंदिर भगवान कृष्ण के बाल रूप को समर्पित है। ‘बांके’ का अर्थ है ‘तीन स्थानों पर मुड़ा हुआ’ और ‘बिहारी’ का अर्थ है ‘आनंद लेने वाला’। मंदिर में स्थापित कृष्ण की मनमोहक मूर्ति भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है। मंदिर में झूलन उत्सव विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
- राधा रमण मंदिर: यह मंदिर भगवान कृष्ण के ‘राधा रमण’ रूप को समर्पित है, जिसका अर्थ है ‘राधा को आनंदित करने वाला’। मंदिर अपनी जटिल नक्काशी और आध्यात्मिक वातावरण के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी।
- राधा बल्लभ मंदिर: यह मंदिर राधा और कृष्ण के युगल रूप को समर्पित है। ‘राधा बल्लभ’ का अर्थ है ‘राधा के प्रिय’। यह मंदिर अपनी विशिष्ट वास्तुकला और भक्तिमय परंपराओं के लिए जाना जाता है।
- गोविंद देव जी मंदिर: वृंदावन के सबसे पुराने और भव्य मंदिरों में से एक, गोविंद देव जी मंदिर का ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व बहुत अधिक है। मुगल काल में इस मंदिर को आंशिक रूप से नष्ट कर दिया गया था, लेकिन इसकी भव्यता आज भी दर्शनीय है।
- श्री मदन मोहन मंदिर: यह मंदिर भगवान कृष्ण के सुंदर रूप मदन मोहन को समर्पित है। ऐतिहासिक रूप से, यह वृंदावन के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक था।
- प्रेम मंदिर: वृंदावन का एक आधुनिक और भव्य मंदिर, प्रेम मंदिर राधा और कृष्ण के प्रेम को समर्पित है। इसकी शानदार वास्तुकला, संगीतमय फव्वारे और रोशनी इसे एक विशेष आकर्षण बनाते हैं। रात के समय मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है।
- इस्कॉन मंदिर (श्री कृष्ण बलराम मंदिर): अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) द्वारा स्थापित यह मंदिर वृंदावन के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। मंदिर में कृष्ण और बलराम की सुंदर मूर्तियां स्थापित हैं। यह मंदिर अपनी आध्यात्मिक गतिविधियों और शैक्षिक कार्यक्रमों के लिए जाना जाता है।
- रंगजी मंदिर: वृंदावन का सबसे बड़ा मंदिर, रंगजी मंदिर दक्षिण भारतीय शैली की वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है। यह मंदिर भगवान विष्णु के रूप रंगनाथ को समर्पित है, लेकिन यहां राधा और कृष्ण की भी पूजा की जाती है। मंदिर में एक ऊंचा गोपुरम और एक जलाशय है।
- शाहजी मंदिर: यह मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला और संगमरमर की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में ‘बसंती कमरा’ है, जो अपनी सुंदर सजावट के लिए जाना जाता है और साल में केवल कुछ दिनों के लिए खुलता है।
- निधिवन: यह एक पवित्र वन है जिसके बारे में मान्यता है कि रात में राधा और कृष्ण यहां रासलीला करते हैं। इसलिए शाम के बाद यहां किसी को रुकने की अनुमति नहीं है। वन में तुलसी के घने पेड़ और रंग महल नामक एक छोटा मंदिर है।
- सेवा कुंज: निधिवन के पास स्थित, सेवा कुंज वह स्थान माना जाता है जहाँ राधा रानी भगवान कृष्ण की सेवा करती थीं। यह एक शांत और आध्यात्मिक स्थान है।
- श्री गिरिराज जी मंदिर: गोवर्धन पर्वत को स्वयं भगवान कृष्ण का रूप माना जाता है। गिरिराज जी मंदिर पर्वत की परिक्रमा मार्ग पर स्थित एक महत्वपूर्ण मंदिर है। भक्त इस पर्वत की परिक्रमा करते हैं और यहां पूजा-अर्चना करते हैं।
- दानघाटी मंदिर: गोवर्धन पर्वत पर स्थित यह मंदिर उस स्थान को दर्शाता है जहाँ भगवान कृष्ण ने गोपियों से कर (दान) लिया था। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
- कुसुम सरोवर: गोवर्धन में स्थित यह एक सुंदर तालाब है जिसके चारों ओर ऐतिहासिक इमारतें बनी हुई हैं। माना जाता है कि राधा और कृष्ण यहां गुप्त रूप से मिलते थे। यह एक शांत और रमणीय स्थान है।
- श्री राधा रानी मंदिर: बरसाना की पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर राधा रानी को समर्पित है। यह मंदिर ‘लाडली जी’ के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर से पूरे बरसाना का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। लट्ठमार होली यहां का प्रमुख आकर्षण है।
- नंद भवन: नंदगांव की पहाड़ी पर स्थित यह भवन नंद बाबा और यशोदा का प्राचीन निवास स्थान माना जाता है। यहां भगवान कृष्ण के बचपन से जुड़ी कई स्मृतियां हैं।
- गोकुलनाथ मंदिर: यह मंदिर गोकुल का प्रमुख मंदिर है और भगवान कृष्ण के बाल रूप को समर्पित है।
- कोकिलावन (शनि देव मंदिर): यह स्थान शनि देव को समर्पित है और माना जाता है कि यहां कोयल के रूप में शनि देव ने भगवान कृष्ण की आराधना की थी।
- काम्यवन: यह बृज के बारह वनों में से एक है और इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। यहां कई प्राचीन मंदिर और कुंड स्थित हैं।
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