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चोपड़ा पूजा 2025 शुभ मुहूर्त – जानिए कब करें खाता-बही पूजन और मां लक्ष्मी का आह्वान

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दिवाली (Diwali) का त्योहार न केवल दीपों का पर्व है, बल्कि यह व्यापार और समृद्धि का भी उत्सव है। इस दिन देशभर में माँ लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) और भगवान गणेश का पूजन कर नए कार्यों और नए वित्त वर्ष (New Financial Year) की शुरुआत की जाती है। इसी महत्वपूर्ण पूजन को गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के व्यापारिक समुदाय में ‘चोपड़ा पूजा’ या ‘खाता-बही पूजन’ के नाम से जाना जाता है।

यह पूजा विशेष रूप से नए बही-खातों (New Account Books) का आरंभ करने और पिछले वर्ष के व्यापार का लेखा-जोखा माँ लक्ष्मी के चरणों में समर्पित करने के लिए की जाती है। माना जाता है कि शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat) में यह पूजन करने से पूरे वर्ष व्यापार में बरकत और धन-धान्य की वृद्धि होती है। आइए, जानते हैं वर्ष 2025 में चोपड़ा पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व।

चोपड़ा पूजा 2025 – तिथि और शुभ मुहूर्त (Chopda Puja 2025: Date and Auspicious Timings)

चोपड़ा पूजा मुख्य रूप से दिवाली के दिन, कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को की जाती है। इस दिन शुभ चौघड़िया (Shubh Choghadiya) और स्थिर लग्न (Sthir Lagna) के समय पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

  • चोपड़ा पूजा की तिथि – सोमवार, 20 अक्टूबर 2025
  • अमावस्या तिथि प्रारंभ – 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03 बजकर 44 मिनट से
  • अमावस्या तिथि समाप्त – 21 अक्टूबर 2025 को शाम 05 बजकर 54 मिनट तक
  • लक्ष्मी पूजा/प्रदोष काल मुहूर्त – शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात्रि 08 बजकर 18 मिनट तक (अवधि: 1 घंटा 11 मिनट)
  • वृषभ काल (स्थिर लग्न) शाम – 07 बजकर 08 मिनट से रात्रि 09 बजकर 03 मिनट तक

विशेष शुभ चौघड़िया मुहूर्त (Special Choghadiya Muhurat)

  • अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – दोपहर 03:44 PM से शाम 05:46 PM तक
  • सायाह्न मुहूर्त (चर) – शाम 05:46 PM से शाम 07:21 PM तक
  • रात्रि मुहूर्त (लाभ) – रात्रि 10:31 PM से 12:06 AM (21 अक्टूबर) तक
  • नोट – मुहूर्त स्थानीय पंचांग और शहर के अनुसार थोड़े भिन्न हो सकते हैं। पूजा के लिए स्थिर लग्न और प्रदोष काल को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

खाता-बही पूजन का महत्व (Significance of Chopda/Khata-Bahi Pujan)

चोपड़ा पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान (Religious Ritual) नहीं है, बल्कि यह व्यापारिक नैतिकता और कर्मठता का प्रतीक है।

  • माँ लक्ष्मी का आह्वान – इस दिन माँ लक्ष्मी के साथ धन के देवता कुबेर (Kuber) और विद्या की देवी माँ सरस्वती (Goddess Saraswati) का आह्वान किया जाता है। माना जाता है कि माँ लक्ष्मी धन देती हैं, कुबेर उसे स्थिर करते हैं, और माँ सरस्वती सही बुद्धि प्रदान करती हैं ताकि धन का सदुपयोग हो सके।
  • नए आरंभ की परंपरा – दिवाली को हिंदू कैलेंडर (Hindu Calendar) में व्यापार के लिए वर्ष का अंतिम दिन माना जाता है। इसलिए, नए बही-खातों की पूजा करके यह सुनिश्चित किया जाता है कि आने वाला वर्ष समृद्धि और लाभ (Profit and Prosperity) से भरा हो।
  • ज्ञान और धन का संतुलन – बही-खातों पर ‘श्री गणेशाय नमः’ (Shri Ganeshay Namah) और ‘शुभ-लाभ’ (Shubh-Labh) लिखकर यह दर्शाया जाता है कि व्यापार में ज्ञान (माँ सरस्वती) और लाभ (माँ लक्ष्मी) का संतुलन बना रहे।
  • पापों का शमन (Atonement of Sins)- पिछले वर्ष अनजाने में हुए किसी भी व्यापारिक त्रुटि या गलती के लिए क्षमा मांगी जाती है और नए सिरे से ईमानदारी के साथ व्यापार शुरू करने का संकल्प लिया जाता है।

चोपड़ा पूजा की सरल और संपूर्ण विधि (Complete and Simple Chopda Puja Vidhi)

चोपड़ा पूजा की विधि सरल है, जिसे श्रद्धा और समर्पण के साथ करना चाहिए:

पूजा की तैयारी (Preparation)

  • पूजा स्थल को साफ कर रंगोली (Rangoli) बनाएं।
  • एक चौकी (Platform) पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं।
  • गंगाजल से छिड़काव कर पूरे स्थान को पवित्र करें।
  • नए बही-खाते, पेन-दवात (Pen-Inkpot), और पुराने हिसाब की किताबें (Old Account Books) पूजा में रखें।

देवी-देवताओं की स्थापना

  • चौकी पर भगवान गणेश, माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • उनके दाहिनी ओर एक कलश (Kalash) स्थापित करें।
  • बही-खातों के पास एक नई थैली में हल्दी की पाँच गांठें, कमलगट्टा, अक्षत (चावल), दूर्वा और दक्षिणा (भेंट) रखें।

पूजन विधि (The Ritual)

  • हाथ में जल और फूल लेकर पूजा का संकल्प लें।
  • सबसे पहले ‘ॐ गणेशाय नमः’ का जाप करते हुए भगवान गणेश का पंचोपचार पूजन (Five-step Worship) करें। उन्हें तिलक, दूर्वा और मोदक अर्पित करें।
  • नए बही-खातों पर केसर युक्त चंदन या रोली से ‘स्वास्तिक’ का चिन्ह बनाएं।
  • उसके ऊपर ‘श्री गणेशाय नमः’ और ‘शुभ-लाभ’ लिखें।
  • खातों पर अक्षत, हल्दी, कुमकुम और फूल अर्पित करें।
  • दवात और कलम (Pen) की भी पूजा करें।
  • अब माँ लक्ष्मी का ध्यान करते हुए ‘ॐ महालक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का जाप करें। उन्हें कमल के फूल, इत्र, वस्त्र और नैवेद्य (भोग) अर्पित करें।
  • अंत में भगवान गणेश और माँ लक्ष्मी की आरती करें। व्यापार में उन्नति, ज्ञान और स्थिरता के लिए प्रार्थना करें।
  • पूजा के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें। जो हल्दी, कमलगट्टा आदि थैली में रखा था, उसे लाल कपड़े में लपेटकर अपने धन स्थान (Vault) या तिजोरी में रखें। इससे पूरे वर्ष व्यापार में बरकत बनी रहती है।

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