श्री तारा देवी चालीसा
|| श्री तारा देवी चालीसा || || दोहा || जय तारा जगदम्ब जै जय कृपाद्रष्टि की खान। कृपा करो सुरेश्वरि मोहि शरण तिहारी जान।। || चौपाई || माता तुम ही जगत की पालन हारी तुम ही भक्तन कि भयहारी। तुम ही आदिशक्ति कलिका माइ तुम ही सन्त जनों की सुखदायी। तारणी तरला तन्वी कहलाती निज…