नवरात्रि में, मां दुर्गा की पूजा और भक्ति को विशेष महत्व प्राप्त होता है। आरती इस भक्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो न केवल सभी पापों का नाश करती है, बल्कि मां की कृपा भी प्राप्त करती है। नवरात्रि, देवी मां दुर्गा की शक्ति और भक्ति का पवित्र पर्व, वर्ष में चार बार मनाया जाता है। इन नौ दिनों में, भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।
आरती की विधि:
- आरती गाने के समय दीपक को घुमाएं।
- आरती करते समय दीपक को पहले देवी के चरणों में चार बार, नाभि प्रदेश में दो बार, मुख मंडल पर एक बार और समस्त अंगों पर सात बार घुमाएं।
- इस तरह चौदह बार आरती घुमानी चाहिए।
- आरती करते समय स्वच्छ कपड़े पहनें।
- आरती करते समय एकाग्र रहें।
- आरती के बाद प्रसाद वितरित करें।
आरती सामग्री:
- दीपक (घी या कपूर)
- आरती थाली
- आरती गाने की पुस्तिका
- फूल
- फल
- मिठाई
- नवरात्रि के दौरान, मां दुर्गा की आरती करने से मन में शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
नवरात्रि में मां दुर्गा की आरती के कुछ लाभ:
- सभी पापों का नाश होता है।
- मन में शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
- मां की कृपा प्राप्त होती है।
- नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
आरती का महत्व:
- आरती पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- आरती करते समय “जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी…” का गान मां दुर्गा को प्रसन्न करता है।
- आरती से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
आरती करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- पुष्पांजलि: आरती करने से पहले मां दुर्गा के मंत्रों से तीन बार पुष्पांजलि देनी चाहिए।
- दीप: विषम संख्या में (1, 5, 7, 11, 21, 101) बत्तियाँ जलाकर आरती शुरू करें। तीन बत्तियों का प्रयोग न करें। आमतौर पर पंच बत्तियों से आरती की जाती है, जिसे पंचप्रदीप भी कहा जाता है।
- जय-जयकार: आरती करते हुए शंख, घड़ियाल, ढोल, नगाड़े आदि महावाद्यों से मां की दुर्गा स्तुति करनी चाहिए।
नवरात्रि में मां दुर्गा की आरती के लिए कुछ लोकप्रिय गाने:
- जय अम्बे गौरी
- जय जय जग जननी
- ओम जय जगदीश हरे
- मां दुर्गा की आरती
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