श्री जाहरवीर गोगाजी चालीसा
|| श्री जाहरवीर गोगाजी चालीसा || ॥ दोहा ॥ सुवन केहरी जेवर, सुत महाबली रनधीर । बन्दौं सुत रानी बाछला, विपत निवारण वीर ॥ जय जय जय चौहान, वन्स गूगा वीर अनूप । अनंगपाल को जीतकर, आप बने सुर भूप ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय जाहर रणधीरा । पर दुख भंजन बागड़ वीरा…