|| घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है ||
घनश्याम तेरी बंसी,
पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मोहन,
घायल कर जाती है ॥
घनश्याम तेरी बंसी,
पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मोहन,
घायल कर जाती है ॥
सोने की होती तो,
क्या करते तुम मोहन,
ये बांस की होकर भी,
दुनिया को नचाती है ॥
घनश्याम तेरी बंसी,
पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मोहन,
घायल कर जाती है ॥
तुम गोरे होते तो,
क्या कर जाते मोहन,
जब काले रंग पर ही,
दुनिया मर जाती है ॥
घनश्याम तेरी बंसी,
पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मोहन,
घायल कर जाती है ॥
दुख दर्दों को सहना,
बंसी ने सिखाया है,
इसके छेद है सीने मे,
फ़िर भी मुस्काती है ॥
घनश्याम तेरी बंसी,
पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मोहन,
घायल कर जाती है ॥
कभी रास रचाते हो,
कभी बंसी बजाते हो,
कभी माखन खाने की,
मन में आ जाती है ॥
घनश्याम तेरी बंसी,
पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मोहन,
घायल कर जाती है ॥
- hindiदर्श करा दे मेरे सांवरे, म्हारे नैना हुए बावरे
- hindiदर्द किसको दिखाऊं कन्हैया
- hindiचंदन है इस देश की माटी
- hindiचन्दन चौक पुरावा मंगल कलश सजावा
- hindiभज राधे गोविंदा रे पगले
- hindiबिसर गई सब तात पराई
- hindiचलो मन वृन्दावन की ओर
- hindiबाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे
- hindiबिहारी ब्रज में घर मेरा बसा दोगे तो क्या होगा
- hindiहरी दर्शन की प्यासी अखियाँ
- hindiबाबा मुझे ये तो बता कोई इतना भी देता है क्या
- hindiअरे माखन की चोरी छोड़ साँवरे मैं समझाऊँ तोय
- hindiअरज सुणो बनवारी
- hindiभटकूं क्यों मैं भला, संग मेरे है सांवरा
- hindiभरी उनकी आँखों में है, कितनी करुणा
Found a Mistake or Error? Report it Now