जिनके नाम से सांप भी रास्ता छोड़ दें, वही हैं वीर जाहरवीर बाबा। राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में विशेष श्रद्धा के साथ पूजित श्री जाहरवीर गोगा जी महाराज को सर्पदोष से मुक्ति दिलाने वाले लोकदेवता के रूप में जाना जाता है। विशेष रूप से गोगामेड़ी धाम, जो हनुमानगढ़ ज़िले में स्थित है, जाहरवीर बाबा का प्रमुख मंदिर स्थल है। इस लेख में हम जानेंगे – जाहरवीर बाबा कौन हैं, उनकी पूजा विधि, आरती, मंत्र, व्रत विधि और गोगामेड़ी धाम का आध्यात्मिक महत्व।
जाहरवीर बाबा कौन हैं?
जाहरवीर गोगा जी महाराज को ‘नागों के देवता’ और ‘गोरक्षा के प्रतीक’ के रूप में पूजा जाता है। उन्हें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में बहुत सम्मान दिया जाता है। लोककथाओं के अनुसार, गोगा जी महाराज का जन्म विक्रम संवत 1003 में राजस्थान के ददरेवा गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम राजा जेवर सिंह और माता का नाम रानी बाछल था।
गोगा जी बचपन से ही वीर, साहसी और धर्मपरायण थे। उन्होंने अपनी प्रजा की रक्षा के लिए अनेक युद्ध लड़े और गायों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति तक दे दी। ऐसी मान्यता है कि उन्होंने जीवित समाधि ली थी, और तभी से उन्हें “जाहरवीर” कहा जाने लगा, जिसका अर्थ है “जो साक्षात् वीर हों” या “जो प्रकट वीर हों”। उन्हें सांपों के विष से मुक्ति दिलाने वाला भी माना जाता है, और यही कारण है कि लोग उन्हें नाग देवता के रूप में भी पूजते हैं। वे केवल योद्धा नहीं, बल्कि नागवंशी परंपरा के रक्षक और धर्म के सेनानी भी थे। उन्हें गोगा नवमी पर विशेष रूप से पूजा जाता है, जो भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को आती है।
गोगामेड़ी धाम का महत्व
गोगामेड़ी धाम राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है। यह वह स्थान माना जाता है जहाँ जाहरवीर गोगा जी ने जीवित समाधि ली थी। यहाँ एक विशाल मंदिर है, जहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएँ लेकर आते हैं। भाद्रपद मास में, विशेषकर गोगा नवमी (जो कृष्ण पक्ष की नवमी को आती है), पर यहाँ एक विशाल मेला लगता है। इस मेले में दूर-दूर से भक्त आते हैं और बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
मंदिर की वास्तुकला अद्भुत है और यहाँ का शांत वातावरण मन को शांति प्रदान करता है। मंदिर परिसर में कई छोटे-बड़े मंदिर और कुंड भी हैं, जहाँ भक्त स्नान करते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं।
जाहरवीर बाबा की आरती
किसी भी देवता की पूजा आरती के बिना अधूरी मानी जाती है। जाहरवीर बाबा की आरती उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने का एक सुंदर माध्यम है। यहाँ बाबा की एक सरल आरती दी गई है:
ॐ जय जाहरवीर देवा, स्वामी जय जाहरवीर देवा।
दुष्ट दलन भक्तन के रखवाले, संकट हर देवा।। ॐ जय…
शेषनाग के अवतारी, नागों के रखवाले।
ददरेवा में जन्मे, बाछल के लाडले।। ॐ जय…
गोरक्षा के तुम दाता, धर्म के तुम प्यारे।
हर संकट हरते तुम, भक्तों के सहारे।। ॐ जय…
जो कोई तुमको ध्यावे, मनवांछित फल पावे।
सारे दुःख मिट जाते, सुख-संपत्ति आवे।। ॐ जय…
धन-धान्य और सुत पावे, रोगी काया निरोगी।
तुम्हारी शरण जो आवे, दूर हों सब योगी।। ॐ जय…
कंचन थाल कपूर बाती, आरती हम गावें।
चरणों में तेरे स्वामी, शीश हम झुकावें।। ॐ जय…
ॐ जय जाहरवीर देवा, स्वामी जय जाहरवीर देवा।
दुष्ट दलन भक्तन के रखवाले, संकट हर देवा।।
जाहरवीर बाबा के मंत्र
मंत्रों का जाप करने से मन शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जाहरवीर बाबा के कुछ सरल और प्रभावी मंत्र इस प्रकार हैं:
- ॐ गोगा जी देवाय नमः।
- ॐ जाहरवीर गोगा जी महाराज की जय।
- ॐ नाग देवाय नमः, जाहरवीर गोगा जी रक्षतु। (यह मंत्र विशेष रूप से सर्पदंश के भय से मुक्ति और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा के लिए जपा जाता है।) इन मंत्रों का जाप आप सुबह-शाम, स्नान के बाद या किसी भी शुभ मुहूर्त में कर सकते हैं।
जाहरवीर बाबा के व्रत की विधि
जाहरवीर बाबा का व्रत भक्तों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की नवमी (गोगा नवमी) को रखा जाता है। व्रत की विधि इस प्रकार है:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। हाथ में जल लेकर जाहरवीर बाबा का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें कि आप अपनी मनोकामना पूर्ण होने के लिए यह व्रत कर रहे हैं।
- पूजा स्थल पर बाबा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएँ। जल का कलश, धूप, दीप, फल, फूल, मिठाई (विशेषकर मीठे पूड़े या बाटी), गुड़, चना और रोली-चावल आदि पूजा सामग्री तैयार रखें।
- पूजन विधि – सबसे पहले दीपक प्रज्वलित करें और धूप जलाएँ। बाबा को रोली-चावल का तिलक लगाएँ। फूल और माला अर्पित करें। जल का छींटा दें। गुड़, चना और मीठे पूड़े का भोग लगाएँ। बाबा के मंत्रों का जाप करें। जाहरवीर बाबा की कथा सुनें या पढ़ें। अंत में आरती करें और अपनी मनोकामना बाबा के चरणों में रखें।
- दिनभर निराहार (बिना कुछ खाए) या फलाहार (केवल फल खाकर) रहें। कुछ भक्त केवल एक समय भोजन करते हैं।
- शाम को जाहरवीर बाबा की आरती के बाद, या अगले दिन सुबह स्नान करके व्रत का पारण करें। भोग लगे प्रसाद को भक्तों और परिवार के सदस्यों में बाँटें।
गोगामेड़ी धाम यात्रा के टिप्स
- जाने का सही समय: भाद्रपद मास में लगने वाले मेले के दौरान गोगामेड़ी धाम की यात्रा करना एक अद्भुत अनुभव हो सकता है, लेकिन भीड़ बहुत होती है। यदि आप शांति से दर्शन करना चाहते हैं, तो मेले के अतिरिक्त अन्य समय में जा सकते हैं।
- पहुँचने का तरीका: गोगामेड़ी धाम सड़क और रेल मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। निकटतम रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड हनुमानगढ़ में हैं।
- रहने की व्यवस्था: मंदिर के आसपास धर्मशालाएँ और होटल उपलब्ध हैं।
- ध्यान रखने योग्य बातें: मंदिर परिसर में स्वच्छता बनाए रखें और धार्मिक परंपराओं का सम्मान करें।
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