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गुप्त नवरात्र का रहस्य – साधकों के लिए खुलते हैं अदृश्य सिद्धियों के द्वार

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नवरात्रि, मां दुर्गा की उपासना का महापर्व, साल में दो बार धूमधाम से मनाया जाता है – चैत्र और शारदीय नवरात्रि। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दो प्रसिद्ध नवरात्रियों के अलावा भी दो और नवरात्रि होती हैं, जिन्हें ‘गुप्त नवरात्रि’ कहा जाता है? इन नवरात्रियों का महत्व (significance) कम नहीं, बल्कि कई मायनों में अधिक है।

गुप्त नवरात्रि, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, गुप्त विद्याओं, तंत्र-मंत्र और विशिष्ट साधनाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह समय उन साधकों (spiritual seekers) के लिए है, जो गहन साधना कर अदृश्य शक्तियों और सिद्धियों को प्राप्त करना चाहते हैं।

गुप्त नवरात्रि – क्या और कब?

गुप्त नवरात्रि साल में दो बार आती है:

  • माघ गुप्त नवरात्रि – माघ महीने के शुक्ल पक्ष में।
  • आषाढ़ गुप्त नवरात्रि – आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में।

यह दोनों ही नवरात्रि चैत्र और शारदीय नवरात्रि की तरह 9 दिनों की होती हैं। हालांकि, इनमें से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है, खासकर तांत्रिक और शाक्त साधकों के लिए। इस दौरान दस महाविद्याओं की उपासना की जाती है, जो कि अत्यंत गोपनीय और शक्तिशाली मानी जाती हैं।

क्यों है यह नवरात्रि गुप्त?

गुप्त नवरात्रि को गुप्त कहने के पीछे कई कारण हैं:

  • गोपनीय साधना – इस दौरान की जाने वाली साधनाएं (practices) सार्वजनिक नहीं होतीं। साधक अपनी साधना को गुप्त और एकांत में करते हैं ताकि ऊर्जा और शक्ति का संचय हो सके।
  • दश महाविद्याओं की पूजा – इस दौरान मुख्य रूप से दस महाविद्याओं की उपासना की जाती है, जो कि तांत्रिक साधनाओं का केंद्र हैं। इन साधनाओं को हर किसी के लिए नहीं माना जाता, इसलिए इन्हें गुप्त रखा जाता है।
  • अदृश्य सिद्धियां – इस समय की गई साधनाएं त्वरित (quick) और गहन परिणाम देती हैं, जिससे साधक को ऐसी सिद्धियां प्राप्त होती हैं जो सामान्यतः (normally) प्राप्त नहीं होतीं।

दस महाविद्याएं और उनका महत्व

गुप्त नवरात्रि में जिन दस महाविद्याओं की पूजा होती है, वे मां दुर्गा के ही दस अलग-अलग स्वरूप हैं। प्रत्येक महाविद्या का अपना एक विशिष्ट महत्व और शक्ति है:

  1. काली – तांत्रिक साधना की अधिष्ठात्री देवी। शत्रुओं का नाश करने वाली और मोक्ष प्रदान करने वाली।
  2. तारा – ज्ञान और मोक्ष की देवी। भयंकर विपदाओं से तारने वाली।
  3. त्रिपुर सुंदरी (षोडशी) – सौंदर्य और सृष्टि की देवी। भौतिक और आध्यात्मिक सुख प्रदान करने वाली।
  4. भुवनेश्वरी – समस्त ब्रह्मांड की स्वामिनी। ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि देने वाली।
  5. छिन्नमस्ता – योग और आत्मज्ञान की देवी। भय से मुक्ति और आत्मिक उन्नति देने वाली।
  6. त्रिपुर भैरवी – वाकसिद्धि और शत्रु नाश की देवी।
  7. धूमावती – विपत्ति और कष्टों का नाश करने वाली।
  8. बगलामुखी – शत्रुओं को स्तंभित करने वाली और कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता देने वाली।
  9. मातंगी – वाकसिद्धि, संगीत और कला की देवी।
  10. कमला – धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी।

इन सभी देवियों की उपासना के लिए विशेष मंत्र, यंत्र और पूजा-विधि होती है।

साधकों के लिए क्यों है यह विशेष?

गुप्त नवरात्रि का समय उन साधकों के लिए वरदान (boon) है जो अपनी साधना को एक नए स्तर पर ले जाना चाहते हैं।

  • शक्ति का संचय – इन नौ दिनों में ब्रह्मांड में एक विशेष ऊर्जा (energy) का प्रवाह होता है। साधक इस समय का उपयोग अपनी आंतरिक ऊर्जा को बढ़ाने और आध्यात्मिक उन्नति के लिए करते हैं।
  • सिद्धियों की प्राप्ति – कहा जाता है कि इस दौरान की गई साधना से साधकों को वाकसिद्धि (power of speech), सम्मोहन (hypnotism), रोग निवारण (disease healing) जैसी कई सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
  • इच्छापूर्ति – गुप्त नवरात्रि में मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे साधक की मनोकामनाएं (wishes) शीघ्र पूर्ण होती हैं।

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