हरियाली तीज का त्योहार भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के अटूट प्रेम का प्रतीक है और सुहागिन महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद लेकर आता है। अगर आप भी हरियाली तीज का व्रत रखने की सोच रही हैं या इस पावन पर्व के बारे में और जानना चाहती हैं, तो यह लेख आपके लिए है। यहाँ हम आपको हरियाली तीज पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इसकी पूरी जानकारी देंगे, ताकि आपका व्रत सफल हो और आपको माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त हो।
हरियाली तीज 2025 कब है?
हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। साल 2025 में हरियाली तीज 28 जुलाई 2025, सोमवार को मनाई जाएगी।
हरियाली तीज का महत्व
यह त्योहार मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए मनाया जाता है। अविवाहित कन्याएं भी योग्य वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इसी दिन माता पार्वती ने कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इसलिए, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
हरियाली तीज पर क्या करें? (Do’s on Hariyali Teej)
- हरियाली तीज का मुख्य अनुष्ठान व्रत रखना और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करना है। महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, जिसका अर्थ है कि वे पूरे दिन पानी भी नहीं पीतीं। पूजा के दौरान, देवी-देवताओं को फल, फूल, मिठाई और अन्य प्रसाद चढ़ाए जाते हैं।
- इस दिन महिलाएं विशेष रूप से सोलह श्रृंगार करती हैं, जिसमें मेहंदी, चूड़ियाँ, बिंदी, सिंदूर आदि शामिल हैं। हरा रंग इस त्योहार से जुड़ा है, इसलिए हरे रंग की साड़ी या सूट पहनना शुभ माना जाता है।
- हरियाली तीज पर झूला झूलने की परंपरा है। महिलाएं पेड़ों पर झूले डालकर, गीत गाते हुए झूलों का आनंद लेती हैं। यह प्रकृति के साथ जुड़ाव और उल्लास का प्रतीक है।
- महिलाएं समूह में इकट्ठा होकर पारंपरिक हरियाली तीज के गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं। यह त्योहार की खुशी और सामुदायिक भावना को बढ़ाता है।
- नवविवाहित महिलाओं को उनके मायके से ‘सिंधारा’ (उपहार) भेजे जाते हैं, जिसमें कपड़े, गहने, मिठाई और मेहंदी शामिल होती है। यह परिवार के प्यार और आशीर्वाद का प्रतीक है।
- हाथों और पैरों पर सुंदर मेहंदी डिजाइन बनाना हरियाली तीज का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसे शुभ माना जाता है और यह त्योहार की खुशी को दर्शाता है।
- हरियाली तीज की कथा सुनना या पढ़ना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह कथा माता पार्वती की तपस्या और उनके दृढ़ संकल्प को बताती है।
- इस दिन घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना चाहिए। उनका आशीर्वाद सुख-समृद्धि लाता है।
हरियाली तीज पर क्या न करें? (Don’ts on Hariyali Teej)
- हरियाली तीज का व्रत निर्जला होता है, इसलिए व्रत के दौरान पानी का सेवन नहीं करना चाहिए। यह व्रत की शुद्धता और अखंडता के लिए महत्वपूर्ण है।
- व्रत के दिन क्रोध करने, अपशब्द बोलने या किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से बचना चाहिए। मन को शांत और सकारात्मक रखना चाहिए।
- परिवार के सदस्यों या अन्य लोगों के साथ किसी भी प्रकार के झगड़े या वाद-विवाद में शामिल न हों। इस दिन शांति और प्रेम बनाए रखें।
- किसी भी व्यक्ति, विशेषकर बड़े-बुजुर्गों या पति का अनादर न करें। सम्मान और आदर बनाए रखें।
- व्रत के दौरान दिन में सोने से बचना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि दिन में सोने से व्रत का फल नहीं मिलता।
- हरियाली तीज के दिन मांसाहार और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। सात्विक भोजन ही ग्रहण करें। व्रत के दौरान प्याज और लहसुन का सेवन भी वर्जित होता है।
व्रत खोलने की विधि (व्रत पारण)
हरियाली तीज का व्रत चंद्रमा के दर्शन के बाद या शाम को पूजा संपन्न होने के बाद खोला जाता है। व्रत खोलने के लिए, महिलाएं सबसे पहले भगवान शिव और माता पार्वती को भोग लगाती हैं। इसके बाद वे पानी पीकर और कुछ फल या हल्का भोजन ग्रहण करके अपना व्रत खोलती हैं।
हरियाली तीज से जुड़े कुछ विशेष उपाय
- हरे रंग का महत्व – हरियाली तीज पर हरे रंग का विशेष महत्व है। यह प्रकृति, समृद्धि और नए जीवन का प्रतीक है। इस दिन हरे वस्त्र और हरी चूड़ियां पहनना शुभ माना जाता है।
- मेहंदी का महत्व – हरियाली तीज पर मेहंदी लगाना भी एक महत्वपूर्ण परंपरा है। माना जाता है कि मेहंदी का रंग जितना गहरा चढ़ता है, पति का प्रेम उतना ही गहरा होता है।
- झूला झूलने की परंपरा – हरियाली तीज पर झूले झूलने की परंपरा भी है। यह उत्सव के माहौल को बढ़ाता है और महिलाओं को प्रकृति के करीब लाता है।
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