क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु ने ज्ञान की रक्षा के लिए घोड़े का रूप धारण किया था? हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाई जाने वाली हयग्रीव जयंती, इसी अद्भुत अवतार और ज्ञान के महत्व को समर्पित है। यह पर्व सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि अज्ञानता पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है। आइए, 2025 में आने वाली हयग्रीव जयंती के रहस्य, महत्व और पूजा विधि को विस्तार से समझते हैं।
हयग्रीव जयंती 2025 कब है?
हयग्रीव जयंती 2025 में शुक्रवार, 08 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। यह दिन रक्षा बंधन के साथ ही आता है, जो इस पर्व को और भी विशेष बना देता है।
हयग्रीव कौन हैं? भगवान विष्णु का यह अवतार क्यों पड़ा?
हयग्रीव भगवान विष्णु के एक विशिष्ट अवतार हैं, जिनका मुख घोड़े जैसा है और शरीर मनुष्य का। ‘हय’ का अर्थ है घोड़ा और ‘ग्रीव’ का अर्थ है गर्दन। इस अवतार का प्राकट्य एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना से जुड़ा है, जहाँ ज्ञान की रक्षा सर्वोपरि थी।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्माजी से वेदों का ज्ञान चुरा लिया गया था। हयग्रीव नामक एक शक्तिशाली राक्षस था, जिसने गहरी तपस्या करके यह वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसे केवल वही मार सकता है जिसका मुख घोड़े जैसा हो। अपनी शक्ति के मद में चूर होकर, उसने ब्रह्माजी से वेदों को चुरा लिया और उन्हें पाताल लोक में छिपा दिया, जिससे सृष्टि में अज्ञानता और अराजकता फैलने लगी।
सृष्टि के इस गंभीर संकट को देखकर भगवान विष्णु ने हयग्रीव का अवतार लिया। उन्होंने घोड़े का मुख धारण किया और सीधे पाताल लोक में जाकर राक्षस हयग्रीव का वध किया। इसके बाद, उन्होंने वेदों को पुनः प्राप्त किया और ब्रह्माजी को लौटा दिया, जिससे सृष्टि में ज्ञान और व्यवस्था पुनः स्थापित हुई।
हयग्रीव जयंती का महत्व
हयग्रीव जयंती मुख्य रूप से ज्ञान, बुद्धि और शिक्षा से जुड़ा पर्व है। इस दिन भगवान हयग्रीव की पूजा करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- भगवान हयग्रीव को ज्ञान का दाता माना जाता है। उनकी पूजा से विद्याथियों को परीक्षा में सफलता मिलती है और बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है।
- यह माना जाता है कि हयग्रीव की पूजा से स्मरण शक्ति मजबूत होती है, जिससे सीखने की प्रक्रिया आसान हो जाती है।
- शिक्षा और करियर में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए हयग्रीव जयंती का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।
- हयग्रीव जयंती पर उनकी उपासना करने से व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- हयग्रीव को कला और संगीत का संरक्षक भी माना जाता है। उनकी पूजा से इन क्षेत्रों में भी प्रगति होती है।
हयग्रीव जयंती 2025 – पूजा विधि और अनुष्ठान
हयग्रीव जयंती पर भगवान हयग्रीव की पूजा पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से की जाती है। यहाँ कुछ प्रमुख पूजा विधि और अनुष्ठान दिए गए हैं:
- जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर या पूजा स्थान को साफ करें। भगवान हयग्रीव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। यदि प्रतिमा उपलब्ध न हो, तो भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र का उपयोग कर सकते हैं। देसी घी का दीपक प्रज्वलित करें।
- भगवान हयग्रीव के मंत्रों का जाप करें। कुछ प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं: “ॐ ह्रीं हयग्रीवाय नमः”, “ज्ञाननन्द मयं देवं निर्मल स्फटिकाकृतिम्। आधारं सर्व विद्यानां हयग्रीवमुपास्महे।”
- भगवान को पीले या सफेद रंग के पुष्प, चंदन, कुमकुम और तुलसी दल अर्पित करें। उन्हें गुड़, चना, फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- इस दिन विशेष रूप से मूंग दाल का हलवा या मूंग दाल से बनी मिठाइयाँ चढ़ाना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह भगवान हयग्रीव को प्रिय है।
- यदि संभव हो तो हयग्रीव स्तोत्र का पाठ करें। यह स्तोत्र ज्ञान और बुद्धि प्रदान करने में अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है।
- पूजा के अंत में भगवान हयग्रीव की आरती करें। इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को शिक्षा सामग्री, पुस्तकें या भोजन दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
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