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ईशावास्योपनिषद् (Ishavasyopanishad) Hindi

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ईशावास्योपनिषद्, जिसे ईशोपनिषद् भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण उपनिषद है जो शुक्ल यजुर्वेद का भाग है। यह उपनिषद अपने छोटे आकार (केवल 18 मंत्र) के बावजूद, वेदान्त दर्शन के गूढ़ तत्वों को सरलता से प्रस्तुत करता है।

ईशावास्योपनिषद् का मुख्य विषय आत्मा और ब्रह्म की एकता का प्रतिपादन करना है। इसमें बताया गया है कि यह सम्पूर्ण जगत ईश्वर से व्याप्त है और प्रत्येक वस्तु में उसी का वास है। उपनिषद हमें सिखाता है कि हमें अनासक्त भाव से कर्म करना चाहिए और ईश्वर में समर्पित रहना चाहिए।

ईशावास्योपनिषद् महत्व कुछ प्रमुख बिंदु

ईशावास्योपनिषद् वेदान्त के मूल सिद्धांतों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। यह उपनिषद हमें जीवन के सही अर्थ और उद्देश्य का बोध कराता है। गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित संस्करण इसकी लोकप्रियता और पहुंच को बढ़ाता है, जिससे यह व्यापक दर्शकों तक पहुँच सके और उन्हें वेदान्त के ज्ञान से लाभान्वित कर सके।

  • उपनिषद कहता है कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है और वही इस जगत का आधार है।
  • इसमें आत्मा को अजर-अमर और अविनाशी बताया गया है।
  • उपनिषद हमें निष्काम कर्म करने की प्रेरणा देता है।
  • ईशावास्योपनिषद् ज्ञान और अज्ञान के भेद को स्पष्ट करता है।
  • यह उपनिषद मोक्ष प्राप्ति के मार्ग का भी वर्णन करता है।

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