सनातन धर्म में व्रतों और त्योहारों का विशेष स्थान है, जो हमें ईश्वरीय शक्ति से जोड़ते हैं। इन्हीं पवित्र व्रतों में से एक है केदार गौरी व्रत (Kedar Gauri Vrat)। यह व्रत भगवान शिव के ‘केदारेश्वर’ रूप और माता पार्वती के ‘गौरी’ स्वरूप को समर्पित है। विवाहित महिलाएं जहां अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए यह व्रत रखती हैं, वहीं अविवाहित कन्याएं मनचाहा वर प्राप्त करने की कामना से इसका पालन करती हैं।
यह व्रत मुख्यतः दक्षिण भारतीय राज्यों, खासकर तमिलनाडु में ‘केदार व्रतम’ (Kedara Vratham) के नाम से बहुत लोकप्रिय है। आइए, विस्तार से जानते हैं कि वर्ष 2025 में केदार गौरी व्रत कब है, इसका शुभ मुहूर्त क्या है, पूजन की सही विधि क्या है और इसका क्या असाधारण महत्व है।
केदार गौरी व्रत 2025 – तिथि और शुभ मुहूर्त (Kedar Gauri Vrat 2025)
केदार गौरी व्रत एक 21 दिवसीय अनुष्ठान है जो आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होता है और दीपावली (Diwali) के दिन, यानी कार्तिक अमावस्या को समाप्त होता है। इस व्रत का अंतिम दिन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जब मुख्य पूजा और उपवास किया जाता है।
- केदार गौरी व्रत आरंभ – मंगलवार, 30 सितंबर 2025 आश्विन शुक्ल अष्टमी
- मुख्य केदार गौरी व्रत (उपवास) – सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 कार्तिक अमावस्या / दीपावली
- केदार गौरी व्रत समाप्ति – सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 (कुल 21 दिन) कार्तिक अमावस्या
अमावस्या तिथि का समय (Amavasya Tithi Timings)
मुख्य पूजा और उपवास के दिन, यानी 20 अक्टूबर 2025 के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
- अमावस्या तिथि प्रारंभ – 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03 बजकर 44 मिनट से।
- अमावस्या तिथि समाप्त – 21 अक्टूबर 2025 को शाम 05 बजकर 54 मिनट तक।
विशेष – यह व्रत आमतौर पर दिवाली (Diwali) के साथ ही मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन लक्ष्मी पूजा भी की जाती है।
केदार गौरी व्रत का महत्व (Significance of Kedar Gauri Vrat)
केदार गौरी व्रत को शास्त्रों में अत्यंत प्रभावशाली बताया गया है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन की सभी इच्छाएं (desires) पूरी होती हैं और भगवान शिव तथा माता पार्वती का संयुक्त आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- अखंड सौभाग्य – विवाहित महिलाओं को यह व्रत करने से अखंड सौभाग्य (Enduring good fortune) की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि माता पार्वती इस व्रत को करने वाली स्त्रियों के पति की रक्षा करती हैं और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती हैं।
- सुखद वैवाहिक जीवन – यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम, सद्भाव और खुशी को बढ़ाता है।
- मनोकामना पूर्ति – पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्वयं देवताओं ने भी अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए इस व्रत को किया था। इसलिए, सच्चे मन से व्रत करने पर हर इच्छा पूरी होती है।
- धन और समृद्धि – चूंकि यह व्रत दीपावली के दिन समाप्त होता है, इसलिए इसे करने से घर में धन, संपत्ति और समृद्धि (prosperity) का आगमन होता है।
- अर्धनारीश्वर स्वरूप की कृपा – इस व्रत में भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप की पूजा की जाती है, जो संसार में संतुलन और पूर्णता का प्रतीक है।
केदार गौरी व्रत की पूजन विधि (Kedar Gauri Vrat Puja Vidhi)
केदार गौरी व्रत की पूजा में 21 की संख्या का विशेष महत्व होता है। यह पूजा विशेष रूप से अंतिम दिन (कार्तिक अमावस्या) को की जाती है, हालांकि कुछ भक्त पूरे 21 दिनों तक साधारण पूजा जारी रखते हैं।
संकल्प और शुद्धि
- व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त (Brahma Muhurat) में उठें, स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर और पूजा स्थान को अच्छी तरह से साफ करें।
- हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें कि आप पूरी श्रद्धा से इस व्रत का पालन करेंगे।
कलश स्थापना और धागा बंधन
- एक पवित्र स्थान पर लाल वस्त्र बिछाकर एक चौकी स्थापित करें।
- चावल के ढेर के ऊपर जल से भरा कलश (pot) स्थापित करें।
- कलश को रेशमी कपड़े से ढक दें और कलश के चारों ओर 21 गांठों वाला धागा (21-knotted thread) बांधें। यह धागा ही व्रत का मुख्य प्रतीक है, जिसे बाद में महिलाएं अपने गले या हाथ में धारण करती हैं।
- कलश को भगवान केदारेश्वर (शिव) का प्रतीक माना जाता है।
शिव-गौरी पूजन
- चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती (अर्धनारीश्वर रूप) की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- उन्हें चंदन, चावल (अक्षत), फूल (विशेषकर गेंदे के), फल और धूप-दीप अर्पित करें।
- पूजा में 21 प्रकार के नैवेद्य (भोग) (21 types of offerings) भगवान को अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- माता गौरी को सोलह श्रृंगार की सामग्री (चूड़ी, बिंदी, सिंदूर आदि) अर्पित करें।
- घी का दीपक (Ghee lamp) जलाएं और शिव-गौरी के मंत्रों का जाप करें।
- व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
मंत्र जाप
- “ॐ नमः शिवाय”
- “ॐ गौरी त्रिपुरसुंदरी नमः”
आरती और प्रसाद वितरण
- पूजा के अंत में भगवान शिव और माता गौरी की आरती करें।
- अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें।
- पूजा सम्पन्न होने के बाद परिवार के सदस्यों और जरूरतमंद लोगों में प्रसाद वितरित करें।
पारण और दान
- व्रतधारी दिनभर उपवास रखें। यदि पूर्ण उपवास न हो सके तो फल, दूध और दही का सेवन कर सकते हैं।
- व्रत का पारण (समापन) अगले दिन शुभ मुहूर्त में करें।
- व्रत के अंत में 21 ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
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