श्री गोविन्द दामोदर स्तोत्रम्

|| श्री गोविन्द दामोदर स्तोत्रम् || अग्रे कुरूणामथ पाण्डवानांदुःशासनेनाहृतवस्त्रकेशा। कृष्णा तदाक्रोशदनन्यनाथागोविन्द दामोदर माधवेति॥1॥ श्रीकृष्ण विष्णो मधुकैटभारेभक्तानुकम्पिन् भगवन् मुरारे। त्रायस्व मां केशव लोकनाथगोविन्द दामोदर माधवेति॥2॥ विक्रेतुकामाखिलगोपकन्यामुरारिपादार्पितचित्तवृत्तिः। दध्यादिकं मोहवशादवोचद्गोविन्द दामोदर माधवेति॥3॥ उलूखले सम्भृततण्डुलांश्चसंघट्टयन्त्यो मुसलैः प्रमुग्धाः। गायन्ति गोप्यो जनितानुरागागोविन्द दामोदर माधवेति॥4॥ काचित्कराम्भोजपुटे निषण्णंक्रीडाशुकं किंशुकरक्ततुण्डम्। अध्यापयामास सरोरुहाक्षीगोविन्द दामोदर माधवेति॥5॥ गृहे गृहे गोपवधूसमूहःप्रतिक्षणं पिञ्जरसारिकाणाम्। स्खलद्गिरं वाचयितुं प्रवृत्तोगोविन्द दामोदर माधवेति॥6॥ पर्य्यङ्किकाभाजमलं…

श्री अहोई अष्टमी व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| अहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि || प्रातः जल्दी स्नान किया जाता हैं। इसमें दिन भर का निर्जला व्रत किया जाता हैं। शाम में सूरज ढलने के बाद अहोई अष्टमी की पूजा की जाती हैं। इसमें अहोई अष्टमी माता का चित्र बनाया जाता हैं और विधि विधान से उनका पूजन किया जाता हैं। चौक बनाया…

अथ तन्त्रोक्तं रात्रिसूक्तम्

|| अथ तन्त्रोक्तं रात्रिसूक्तम् || जो इस विश्व की अधीश्वरी, जगत को धारण करने वाली, संसार का पालन और संहार करने वाली तथा तेजःस्वरुप भगवान विष्णु की अनुपम शक्ति हैं, उन्हीं भगवती निद्रा देवी की भगवान ब्रह्मा स्तुति करने लगे ब्रह्मा जी ने कहा – देवि! तुम्हीं स्वाहा, तुम्ही स्वधा और तुम्ही वषट्कार हो। स्वर…

हिंदू व्रत-त्यौहारों की पूरी सूची 2024, जानिए हिंदू व्रत-त्यौहार मासिक कैलेंडर

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हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है। ये धार्मिक अनुष्ठान व्यक्ति को ईश्वर के करीब लाने और आध्यात्मिक विकास में सहायक होते हैं। 2024 में भी कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे। 2024 में हिंदू व्रत-त्यौहारों की पूरी सूची और मासिक कैलेंडर आपके लिए प्रस्तुत है। यह कैलेंडर आपको वर्षभर के…

अथ वेदोक्तं रात्रिसूक्तम्

|| अथ वेदोक्तं रात्रिसूक्तम् || ॐ रात्रीत्याद्यष्टर्चस्य सूक्तस्यकुशिकः सौभरो रात्रिर्वा भारद्वाजो ऋषिः, रात्रिर्देवता,गायत्री छन्दः, देवीमाहात्म्यपाठे विनियोगः। ॐ रात्री व्यख्यदायती पुरुत्रा देव्यक्षभिः। विश्वा अधि श्रियोऽधित॥1॥ ओर्वप्रा अमर्त्यानिवतो देव्युद्वतः। ज्योतिषा बाधते तमः॥2॥ निरु स्वसारमस्कृतोषसं देव्यायती। अपेदु हासते तमः॥3॥ सा नो अद्य यस्या वयं नि ते यामन्नविक्ष्महि। वृक्षे न वसतिं वयः॥4॥ नि ग्रामासो अविक्षत नि पद्वन्तो नि पक्षिणः।…

महिषासुर मर्दिनि स्तोत्रम्

|| महिषासुर मर्दिनि स्तोत्रम् || अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥1॥ सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥2॥ अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमलय शृङ्गनिजालय मध्यगते। मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि…

अहोई माता आरती

॥ अहोई माता आरती ॥ जय अहोई माता, जय अहोई माता । तुमको निसदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता ॥ ॐ जय अहोई माता ॥ ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला, तू ही है जगमाता । सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॐ जय अहोई माता ॥ माता रूप निरंजन, सुख-सम्पत्ति दाता । जो कोई तुमको ध्यावत, नित मंगल…

राधाकुण्ड और अहोई अष्टमी से जुड़ी कथा

|| अहोई अष्टमी और राधाकुण्ड से जुड़ी कथा || बहुत समय पहले झाँसी के निकट एक नगर में चन्द्रभान नामक एक साहूकार रहता था। उसकी पत्नी चन्द्रिका अत्यंत सुंदर, सर्वगुण सम्पन्न, सती-साध्वी, शीलवान और बुद्धिमान थी। उनके कई पुत्र-पुत्रियाँ थीं, लेकिन वे सभी वयस्क होने से पहले ही परलोक सिधार गए थे। संतान की मृत्यु…

नवदुर्गा स्तोत्रम्

|| नवदुर्गा स्तोत्रम् || ॥ देवी शैलपुत्री ॥ वन्दे वाञ्छितलाभायचन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढाम् शूलधरांशैलपुत्री यशस्विनीम्॥1॥ ॥ देवी ब्रह्मचारिणी ॥ दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयिब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥2॥ ॥ देवी चन्द्रघण्टा ॥ पिण्डजप्रवरारूढाचन्दकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यम्चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥3॥ ॥ देवी कूष्माण्डा ॥ सुरासम्पूर्णकलशम्रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्याम्कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥4॥ ॥ देवी स्कन्दमाता ॥ सिंहासनगता नित्यम्पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवीस्कन्दमाता यशस्विनी॥5॥ ॥ देवी कात्यायनी…

श्री राधाकुण्डाष्टकम्

|| श्री राधाकुण्डाष्टकम् || वृषभदनुजनाशान्नर्मधर्मोक्तिरङ्गै- र्निखिलनिजसखीभिर्यत्स्वहस्तेन पूर्णम् । प्रकटितमपि वृन्दारण्यराज्ञा प्रमोदै- स्तदतिसुरभि राधाकुण्डमेवाश्रयो मे ॥ व्रजभुवि मुरशत्रोः प्रेयसीनां निकामै- रसुलभमपि तूर्णं प्रेमकल्पद्रुमं तम् । जनयति हृदि भूमौ स्नातुरुच्चैर्प्रियं य- त्तदतिसुरभि राधाकुण्डमेवाश्रयो मे ॥ अघरिपुरपि यत्नादत्र देव्याः प्रसाद- प्रसरकृतकताक्षप्राप्तिकामः प्रकामम् । अनुसरति यदुचाइः स्नानसेवानुबन्धै- स्तदतिसुरभि राधाकुण्डमेवाश्रयो मे ॥ व्रजभुवनसुधांशोः प्रेमभूमिर्निकामं व्रजमधुरकिशोरीमौलिरत्नप्रियेव । परिचितमपि नाम्ना या च…

श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा

|| कृष्णा जन्माष्टमी व्रत कथा || द्वापर युग में जब पृथ्वी पाप तथा अत्याचारों से तपने लगी| तब वह गाय का रूप बनाकर सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी के पास गई| ब्रह्मा जी ने जब सभी देवताओं के साथ पृथ्वी जी की दुख भरी कथा सुनी तब सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी से कहा यह तो अत्यंत…

श्री अहोई माता की आरती

|| श्री अहोई माता की आरती || जय अहोई माता, जय अहोई माता । तुमको निसदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता ॥ ॐ जय अहोई माता ॥ ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला, तू ही है जगमाता । सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॐ जय अहोई माता ॥ माता रूप निरंजन, सुख-सम्पत्ति दाता । जो कोई तुमको ध्यावत,…

ऋणहर्ता श्री गणेश स्तोत्रम्

|| ऋणहर्ता श्री गणेश स्तोत्रम् || कैलाशपर्वते रम्ये शम्भुं चन्द्रार्धशेखरम्। षडाम्नायसमायुक्तं पप्रच्छ नगकन्यका॥ ॥ पार्वत्युवाच ॥ देवश परमेशान सर्वशास्त्रार्थपारग। उपायमृणनाशस्य कृपया वद साम्प्रतम्॥ ॥ शिव उवाच ॥ सम्यक् पृष्टं त्वया भद्रे लोकानां हिकाम्यया। तत्सर्वं सम्प्रवक्ष्यामि सावधानावधारय॥ ॥ विनियोग ॥ ॐ अस्य श्रीऋणहरणकर्तृगणपतिस्तोत्रमन्त्रस्य सदाशिव ऋषिः अनुष्टुप् छन्दः श्रीऋणहरणकर्तृगणपतिर्देवता ग्लौं बीजम् गः शक्तिः गों कीलकम्मम सकलऋणनाशने जपे…

त्रिपुरा भारती स्तोत्र

|| त्रिपुरा भारती स्तोत्र || ऐन्द्रस्येव शरासनस्य दधती मध्ये ललाटं प्रभां शौक्लीं कान्तिमनुष्णगोरिव शिरस्यातन्वती सर्वतः । एषाऽसौ त्रिपुरा हृदि द्युतिरिवोष्णांशोः सदाहःस्थिता छिन्द्यान्नः सहसा पदैस्त्रिभिरघं ज्योतिर्मयी वाङ्मयी ॥ या मात्रा त्रपुसीलतातनुलसत्तन्तूत्थितिस्पर्द्धिनी वाग्बीजे प्रथमे स्थिता तव सदा तां मन्महे ते वयम् । शक्तिः कुण्डलिनीति विश्वजननव्यापारबद्धोद्यमा ज्ञात्वेत्थं न पुनः स्पृशन्ति जननीगर्भेऽर्भकत्वं नराः ॥ दृष्ट्वा सम्भ्रमकारि वस्तु सहसा ऐ…

करवा चौथ आरती

।। करवा चौथ आरती ।। ऊँ जय करवा मइया, माता जय करवा मइया । जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया ।। ऊँ जय करवा मइया। सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी। यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी ।। ऊँ जय करवा मइया। कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती। दीर्घायु पति…

करवा चौथ व्रत कथा और पूजन विधि

|| करवा चौथ व्रत कथा || एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी…

अटला तड्डी व्रत कथा

|| अटला तड्डी व्रत कथा || एक राज्य में एक राजकुमारी थी जो अटला तड्डी नोमु व्रत का पालन कर रही थी। इस व्रत में, उसे पूरे दिन उपवास रखना होता था और केवल चाँद दिखने के बाद ही भोजन करना होता था। कुछ घंटों के उपवास के बाद, राजकुमारी बेहोश हो गई क्योंकि उसे…

श्री विष्णु सहस्र नाम स्तोत्रम्

||श्री विष्णु सहस्र नाम स्तोत्रम् || ॐ शुक्लांबरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् । प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशांतये ॥ 1 ॥ यस्यद्विरदवक्त्राद्याः पारिषद्याः परः शतम् । विघ्नं निघ्नंति सततं विष्वक्सेनं तमाश्रये ॥ 2 ॥ पूर्व पीठिका व्यासं वसिष्ठ नप्तारं शक्तेः पौत्रमकल्मषम् । पराशरात्मजं वंदे शुकतातं तपोनिधिम् ॥ 3 ॥ व्यासाय विष्णु रूपाय व्यासरूपाय विष्णवे । नमो वै ब्रह्मनिधये…

श्री राम रक्षा स्तोत्रम्

|| श्री राम रक्षा स्तोत्रम् || ॐ अस्य श्री रामरक्षा स्तोत्रमंत्रस्य बुधकौशिक ऋषिः श्री सीताराम चंद्रोदेवता अनुष्टुप् छंदः सीता शक्तिः श्रीमद् हनुमान् कीलकम् श्रीरामचंद्र प्रीत्यर्थे रामरक्षा स्तोत्रजपे विनियोगः ॥ ध्यानम् ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशर धनुषं बद्ध पद्मासनस्थं पीतं वासोवसानं नवकमल दलस्पर्थि नेत्रं प्रसन्नम् । वामांकारूढ सीतामुख कमलमिलल्लोचनं नीरदाभं नानालंकार दीप्तं दधतमुरु जटामंडलं रामचंद्रम् ॥ स्तोत्रम् चरितं रघुनाथस्य…

शनैश्चरस्तोत्रम्

|| शनैश्चरस्तोत्रम् || ॥ विनियोग ॥ श्रीगणेशाय नमः॥ अस्य श्रीशनैश्चरस्तोत्रस्य। दशरथ ऋषिः॥ शनैश्चरो देवता। त्रिष्टुप् छन्दः॥ शनैश्चरप्रीत्यर्थ जपे विनियोगः॥ ॥ दशरथ उवाच ॥ कोणोऽन्तको रौद्रयमोऽथ बभ्रुः कृष्णः शनिः पिंगलमन्दसौरिः। नित्यं स्मृतो यो हरते च पीडां तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥1॥ सुरासुराः किंपुरुषोरगेन्द्रा गन्धर्वविद्याधरपन्नगाश्च। पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥2॥ नरा नरेन्द्राः पशवो मृगेन्द्रा वन्याश्च ये कीटपतंगभृङ्गाः। पीड्यन्ति…

रामभद्राचार्य हनुमान चालीसा

॥ हनुमान चालीसा रामभद्राचार्य ॥ ॥ दोहा ॥ श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार। बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।। ॥ चौपाई ॥ जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि–पुत्र…

श्री हनुमान स्तुति

॥ हनुमान स्तुति ॥ जय बजरंगी जय हनुमाना, रुद्र रूप जय जय बलवाना, पवनसुत जय राम दुलारे, संकट मोचन सिय मातु के प्यारे ॥ जय वज्रकाय जय राम केरू दासा, हृदय करतु सियाराम निवासा, न जानहु नाथ तोहे कस गोहराई, राम भक्त तोहे राम दुहाई ॥ विनती सुनहु लाज रखहु हमारी, काज कौन जो तुम…

हनुमान चालीसा हिंदी अर्थ सहित

|| हनुमान चालीसा हिंदी अर्थ सहित || || दोहा || श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुवर बिमल जसु जो दायकु फल चारि। अर्थ- श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं, जो चारों…

हनुमानजी का शाबर मंत्र

।। हनुमानजी का शाबर मंत्र ।। आत्म सुरक्षा हेतु श्री हनुमानजी का शाबर मंत्र ॐ नमः वज्र का कोठा । जिसमे पिण्ड हमारो पेठा । ईश्वर कुंजी । ब्रह्मा का ताला । मेरे आठो धाम का यति हनुमंत रखवाला ॥ शत्रु दमन हेतु श्री हनुमानजी का शाबर मंत्र हनुमान पहलवान बारह बरस का जवान मुख…

भौम प्रदोष व्रत कथा और पूजा विधि

।। मंगल (भौम) प्रदोष व्रत कथा ।। एक नगर में एक वृद्धा निवास करती थी। उसके मंगलिया नामक एक पुत्र था। वृद्धा की हनुमान जी पर गहरी आस्था थी। वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमान जी की आराधना करती थी। उस दिन वह न तो घर लीपती थी और न ही मिट्टी खोदती…

शरद पूर्णिमा व्रत कथा एवं पूजन विधि

|| शरद पूर्णिमा व्रत कथा || एक साहूकार के दो पुत्रियां थी। दोनों पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थी, परन्तु बड़ी पुत्री विधिपूर्वक पूरा व्रत करती थी जबकि छोटी पुत्री अधूरा व्रत ही किया करती थी। परिणामस्वरूप साहूकार के छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी। उसने पंडितों से अपने संतानों के…

श्री बुद्ध जी की आरती

|| श्री बुद्ध जी की आरती || वो गौतम ज्ञानी, धन्य हो गौतम ज्ञानी । जन्म मरण का तुमने भेद लिया जानी।। धन्य हो गौतम ज्ञानी। पिता शुद्दोधन माता महामाया रानी। जन्म लिया लुम्बिनी वन, साक्य मुनि सानी।। धन्य हो गौतम ज्ञानी। जग का रण गृह त्यागा, वन की खाक छानी। दुःख का कारन खोजा,…

विजयादशमी की कथा (दशहरा व्रत कथा)

|| विजयादशमी की कथा (दशहरा व्रत कथा) || आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को ‘विजयादशमी’ कहा जाता है, और इसके नाम के पीछे कई पौराणिक और ज्योतिषीय कारण बताए गए हैं। इस दिन को ‘विजयादशमी’ कहे जाने का एक प्रमुख कारण देवी भगवती के ‘विजया’ नाम से जुड़ा हुआ है। इसके साथ…

सिद्धिदात्री माता व्रत कथा पूजा विधि

।। सिद्धिदात्री माता कथा ।। मां दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्रि-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में…

मां सिद्धिदात्री आरती

।। सिद्धिदात्री आरती ।। जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता । तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ।। तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि । तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ।। कठिन काम सिद्ध करती हो तुम । जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम ।। तेरी…

महागौरी माता आरती

॥ महागौरी माता आरती ॥ जय महागौरी जगत की माया। जया उमा भवानी जय महामाया॥ हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरी वहां निवासा॥ चंद्रकली ओर ममता अंबे। जय शक्ति जय जय माँ जगंदबे॥ भीमा देवी विमला माता। कौशिकी देवी जग विख्यता॥ हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥ सती सत हवन…

महागौरी माता व्रत कथा पूजा विधि

।। महागौरी माता कथा ।। नवरात्रि में आठवें दिन महागौरी शक्ति की पूजा की जाती है। नाम से प्रकट है कि इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है। इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। अष्टवर्षा भवेद् गौरी यानी इनकी आयु आठ साल की मानी गई है। इनके सभी आभूषण और…

विन्ध्येश्वरी माता स्तोत्रम्

|| विन्ध्येश्वरी माता स्तोत्रम् || निशुम्भशुम्भमर्दिनीं प्रचण्डमुण्डखण्डिनीम्। वने रणे प्रकाशिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥1॥ त्रिशूलरत्नधारिणीं धराविघातहारिणीम्। गृहे गृहे निवासिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥2॥ दरिद्रदुःखहारिणीं सतां विभूतिकारिणीम्। वियोगशोकहारिणीं भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥3॥ लसत्सुलोललोचनां लतां सदावरप्रदाम्। कपालशूलधारिणीं भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥4॥ करे मुदा गदाधरां शिवां शिवप्रदायिनीम्। वरावराननां शुभां भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥5॥ ऋषीन्द्रजामिनप्रदां त्रिधास्यरूपधारिणीम्। जले स्थले निवासिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥6॥ विशिष्टसृष्टिकारिणीं विशालरूपधारिणीम्। महोदरां विशालिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥7॥ पुरन्दरादिसेवितां मुरादिवंशखण्डिनीम्।…

अन्नपूर्णा माता स्तोत्रम्

|| अन्नपूर्णा माता स्तोत्रम् || नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी। प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥1॥ नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी मुक्ताहारविलम्बमान-विलसद्वक्षोजकुम्भान्तरी। काश्मीरागरुवासिताङ्गरुचिरे काशीपुराधीश्वर भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥2॥ योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मार्थनिष्ठाकरी चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी। सर्वैश्वर्यसमस्तवाञ्छितकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥3॥ कैलासाचलकन्दरालयकरी गौरी उमा शङ्करी कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओङ्कारबीजाक्षरी। मोक्षद्वारकपाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥4॥ दृश्यादृश्यविभूतिवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी लीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपाङ्कुरी। श्रीविश्वेशमनःप्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी…

माँ काली मंत्र

॥ माँ काली मंत्र ॥ एकाक्षरी काली मंत्र क्रीं तीन अक्षरी काली मंत्र क्रीं ह्रुं ह्रीं॥ पांच अक्षरी काली मंत्र क्रीं ह्रुं ह्रीं हूँ फट्॥ षडाक्षरी काली मंत्र क्रीं कालिके स्वाहा॥ सप्ताक्षरी काली मंत्र हूँ ह्रीं हूँ फट् स्वाहा॥ श्री दक्षिणकाली मंत्र ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणकालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं…

मां काली की कथा

|| मां काली की कथा || हिंदू धर्म में मां काली का प्रमुख स्थान है काली का अर्थ है समय और काल ऐसा माना जाता है कि इनकी उत्पत्ति समय और काल पापियों के नाश के लिए हुई थी| समय और काल से कोई भी नहीं बच सकता यह सभी को निगल जाता है माता…

श्री काली माँ आरती

|| श्री काली माँ आरती || जय काली माता, मा जय महा काली माँ | रतबीजा वध कारिणी माता | सुरनर मुनि ध्याता, माँ जय महा काली माँ || दक्ष यज्ञ विदवंस करनी माँ शुभ निशूंभ हरलि | मधु और कैितभा नासिनी माता | महेशासुर मारदिनी …ओ माता जय महा काली माँ || हे हीमा…

श्री काली माँ चालीसा

|| श्री काली माँ चालीसा || ॥ दोहा ॥ जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार महिष मर्दिनी कालिका, देहु अभय अपार ॥ ॥ चौपाई॥ अरि मद मान मिटावन हारी । मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥ अष्टभुजी सुखदायक माता । दुष्टदलन जग में विख्याता ॥ भाल विशाल मुकुट छवि छाजै । कर में शीश शत्रु का साजै…

गंगा माता स्तोत्रम्

|| गंगा माता स्तोत्रम् || देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गेत्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे। शङ्करमौलिविहारिणि विमले मममतिरास्तां तव पदकमले॥1॥ भागीरथिसुखदायिनि मातस्तवजलमहिमा निगमे ख्यातः। नाहं जाने तव महिमानंपाहि कृपामयि मामज्ञानम्॥2॥ हरिपदपाद्यतरङ्गिण गङ्गेहिमविधुमुक्ताधवलतरङ्गे। दूरीकुरु मम दुष्कृतिभारंकुरु कृपया भवसागरपारम्॥3॥ तव जलममलं येन निपीतंपरमपदं खलु तेन गृहीतम्। मातर्गंगे त्वयि यो भक्तःकिल तं द्रष्टुं न यमः शक्तः॥4॥ पतितोद्धारिणि जाह्नविगङ्गे खण्डितगिरिवरमण्डितभङ्गे। भीष्मजननि हे मुनिवरकन्येपतितनिवारिणि त्रिभुवनधन्ये॥5॥…

हनुमान जी के मंत्र

।। हनुमान जी के मंत्र ।। किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए: ॐ हनुमते नमः शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए: ॐ पूर्वकपिमुखाय पच्चमुख हनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रु सहंरणाय स्वाहा। प्रेत आदि की बाधा निवृति…

तुलसी माता स्तोत्रम्

|| तुलसी माता स्तोत्रम् || जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे। यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः॥1॥ नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे। नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके॥2॥ तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा। कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम्॥3॥ नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम्। यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात्॥4॥ तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम्। या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः॥5॥…

कालरात्रि माता व्रत कथा पूजा विधि

।। कालरात्रि माता व्रत कथा ।। जैसा कि नाम से अभिव्यक्त होता है कि मां दुर्गा की यह सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है अर्थात जिनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। नाम से ही जाहिर है कि इनका रूप भयानक है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं…

कालरात्रि माता आरती

॥ कालरात्रि माता आरती ॥ कालरात्रि जय जय महाकाली। काल के मुंह से बचाने वाली॥ दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतारा॥ पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥ खड्ग खप्पर रखनेवाली। दुष्टों का लहू चखने वाली॥ कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा॥ सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥…

हनुमान चालीसा कब, क्यों और कैसे पढ़ें? जानिए हनुमान चालीसा के लाभ और सही समय

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हनुमान चालीसा हिंदू धर्म में एक बहुत ही प्रसिद्ध स्तोत्र है जो भगवान हनुमान की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र न केवल भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करता है बल्कि मन को शांत और आत्मविश्वास से भर देता है। हनुमान चालीसा, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण भक्ति स्तोत्र है, जिसमें भगवान हनुमान…

पापांकुशा एकादशी 2024 कब है? कैसे करें व्रत? क्या है महत्व?

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पापांकुशा एकादशी हिंदू धर्म में आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। पापांकुशा एकादशी एक पवित्र अवसर है जब हम अपने पापों का प्रायश्चित कर सकते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। यदि…

2024 Navratri Bhog 9 Days List – नवरात्रि के नौ दिनों में माता रानी को लगाएं इन वस्तुओं का भोग, देखें पूरी सूची

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नवरात्रि, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और श्रद्धापूर्ण त्योहारों में से एक है, जो भक्तिभाव, उपवास और उल्लास का समय होता है। इस नौ दिवसीय उत्सव में भक्त देवी दुर्गा के नौ विभिन्न स्वरूपों की पूजा करते हैं, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। इस साल 2024 में नवरात्रि का प्रारंभ गुरुवार, 3 अक्टूबर से हो…

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

॥ पापंकुशा एकादशी पूजा विधि ॥ सुबह जल्दी उठें, नहाएं और साफ कपड़े पहनें। भगवान पद्मनाभ की पूजा करें, पहले तिलक करें और फिर फूल, अगरबत्ती, प्रसाद आदि चढ़ाएं। मंत्रों का जाप करें, विष्णु पुराण और कथा का पाठ करें। भगवान विष्णु जी की आरती कर पूजा का समापन करें। ॥ पापांकुशा एकादशी व्रत कथा…

नवरात्रि में क्यों होता है माता का जागरण? जाने महत्व, समय, अन्य रोचक बातें

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नवरात्रि में माता का जागरण, भक्ति और आस्था का संगम होता है। यह न केवल देवी दुर्गा की पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति और मनोरंजन का भी साधन है। नवरात्रि में माता का जागरण, भक्ति, आस्था, और सामाजिक जुड़ाव का प्रतीक है। यह देवी दुर्गा की पूजा का एक महत्वपूर्ण…