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महाभाष्य के श्लोकवर्त्तिका (Mahabhashya Ke Shlokavarttika)

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‘महाभाष्य के श्लोकवर्त्तिका’ डॉ. कमला भारद्वाज द्वारा रचित एक गहन अध्ययनात्मक कृति है, जो संस्कृत व्याकरण के महान ग्रंथ महाभाष्य के श्लोकों और वर्त्तिकाओं का विस्तृत विवेचन प्रस्तुत करती है। यह ग्रंथ पाणिनीय व्याकरण और पतंजलि के महाभाष्य के अध्ययन में रुचि रखने वाले विद्वानों और छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

महाभाष्य के श्लोकवर्त्तिका पुस्तक की विशेषताएँ

  • महाभाष्य का परिचय – पुस्तक महर्षि पतंजलि के महाभाष्य के परिचय से प्रारंभ होती है, जिसमें इसके ऐतिहासिक, व्याकरणिक और दार्शनिक पहलुओं को समझाया गया है।
  • श्लोक और वर्त्तिकाओं का गहन विश्लेषण – इस कृति में महाभाष्य में उद्धृत श्लोकों और वर्त्तिकाओं का अर्थ, संदर्भ और भाष्य पर विस्तार से चर्चा की गई है। लेखक ने इनके पीछे छिपे दार्शनिक और व्याकरणिक मंतव्यों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया है।
  • पाणिनीय व्याकरण का योगदान – यह पुस्तक पाणिनि, कात्यायन और पतंजलि की त्रयी के योगदान को उजागर करती है। इसमें यह बताया गया है कि कैसे वर्त्तिकाओं और श्लोकों ने संस्कृत व्याकरण को और भी समृद्ध किया।
  • शास्त्रीय परंपरा का निर्वाह – डॉ. कमला भारद्वाज ने पारंपरिक दृष्टिकोण के साथ आधुनिक दृष्टिकोण का समन्वय करते हुए शास्त्रीय परंपरा का सम्मानजनक ढंग से निर्वहन किया है।
  • विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सामग्री – यह पुस्तक संस्कृत व्याकरण का अध्ययन करने वाले छात्रों के लिए एक उपयोगी मार्गदर्शिका है। इसमें कठिन श्लोकों और वर्त्तिकाओं को सरल भाषा और तर्कपूर्ण व्याख्या के साथ प्रस्तुत किया गया है।
  • भाषा और शैली – लेखिका की भाषा शैली विद्वतापूर्ण और साथ ही सरल है, जिससे विद्वान और सामान्य पाठक दोनों ही लाभान्वित हो सकते हैं।

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