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जानिए महाशिवरात्रि के दिन 11 घंटे भद्रा का महत्व और इसका प्रभाव – आपकी पूजा कैसे सफल हो सकती है, जाने इसका रहस्य

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महाशिवरात्रि एक ऐसा महापर्व है जो भगवान शिव की आराधना का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। इस दिन भक्तजन उपवास रखकर, पूजा-अर्चना करके और शिव मंत्रों का जाप करके भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस साल महाशिवरात्रि के दिन 11 घंटे भद्रा का साया रहने वाला है? भद्रा को अशुभ काल माना जाता है, तो क्या इस दौरान पूजा करना उचित होगा?

महाशिवरात्रि, भगवान शिव की आराधना का पवित्र पर्व, हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। परंतु, इस वर्ष महाशिवरात्रि 2025 पर 11 घंटे भद्रा का विशेष प्रभाव रहेगा, जो कई भक्तों के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करता है – भद्रा के दौरान पूजा करना उचित है या नहीं? इस लेख में हम भद्रा के महत्व, उसके प्रभाव, और आपकी पूजा को सफल बनाने के रहस्यों पर चर्चा करेंगे।

महाशिवरात्रि पर भद्रा का समय

इस साल महाशिवरात्रि के दिन 11 घंटे भद्रा रहेगी। भद्रा का समय 26 फरवरी 2025 को सुबह 11:08 मिनट से लेकर देर रात 10:05 मिनट तक रहेगा।

भद्रा क्या है और इसका महत्व

भद्रा को पंचांग में एक विशेष समय के रूप में जाना जाता है। यह सूर्य और चंद्रमा की स्थिति के आधार पर निर्धारित होता है। भारतीय ज्योतिष में भद्रा को शुभ और अशुभ समय के रूप में देखा जाता है। यह माना जाता है कि भद्रा के दौरान किए गए कार्य, जैसे शुभ कार्य, यात्रा, और पूजा, सफल नहीं होते और उनका विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।

भद्रा का प्रभाव खासकर शिवरात्रि जैसे पवित्र त्योहारों पर महत्वपूर्ण होता है। भद्रा काल में पूजा करने से यह माना जाता है कि ईश्वर की कृपा प्राप्त करना कठिन हो सकता है। हालांकि, इसके कुछ अपवाद भी होते हैं, जिनके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे।

महाशिवरात्रि पर 11 घंटे भद्रा का महत्व

इस वर्ष महाशिवरात्रि पर भद्रा काल सुबह से लेकर दोपहर तक रहेगा। यह समय करीब 11 घंटे का होगा। इसका सीधा अर्थ यह है कि इस अवधि में पूजा करना वर्जित माना जाता है। इसके पीछे ज्योतिषीय कारण हैं:

  1. भद्रा के समय में नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय होती है, जो पूजा के प्रभाव को कम कर सकती है।
  2. भद्रा काल को ऐसा समय माना जाता है जब देवताओं की कृपा प्राप्त करना कठिन होता है। इस दौरान की गई पूजा का फल नहीं मिलता।
  3. हालांकि, कुछ विशेष तांत्रिक उपाय भद्रा काल में भी प्रभावी हो सकते हैं। लेकिन साधारण भक्तों के लिए यह समय अनुकूल नहीं होता।

महाशिवरात्रि के दिन भद्रा काल का प्रभाव

महाशिवरात्रि पर 11 घंटे भद्रा काल का प्रभाव इस प्रकार हो सकता है:

  1. शिव भक्तों को भद्रा काल के दौरान पूजा और अभिषेक से बचना चाहिए।
  2. भद्रा काल के दौरान भक्त ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  3. इस अवधि में घर में पूजा करना अधिक उचित है बजाय मंदिर जाने के।
  4. भद्रा समाप्त होने के बाद शिवलिंग का अभिषेक करें। यह समय शुभ और फलदायी माना जाता है।

भद्रा में पूजा कैसे करें

भद्रा में भी भगवान शिव की पूजा की जा सकती है। इस दौरान आप भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें और उन्हें जल अर्पण करें। आप चाहें तो इस दौरान रुद्राभिषेक भी कर सकते हैं।

महाशिवरात्रि पर भद्रा काल के बावजूद आपकी पूजा को सफल बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:

  • भद्रा काल के समाप्त होने के बाद पूजा करें।
  • इस साल, भद्रा समाप्त होने के बाद रात्रि काल सबसे शुभ समय रहेगा।
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल) से शिवलिंग का अभिषेक करें।
  • भद्रा काल में ‘महामृत्युंजय मंत्र’ और ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करें।
  • भद्रा के दौरान ध्यान और योग करना शुभ माना जाता है। इससे मानसिक शांति मिलती है और भगवान शिव का ध्यान केंद्रित होता है।
  • भद्रा काल समाप्त होने के बाद महादेव की भस्म आरती करें। यह सबसे प्रभावी पूजा मानी जाती है।

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