मार्गशीर्ष अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। इसे ‘अगहन अमावस्या’ के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन पितरों के तर्पण, स्नान और दान-धर्म के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत और पूजन करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
|| मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत कथा PDF ||
मार्गशीर्ष अमावस्या से जुड़ी एक प्रचलित व्रत कथा इस प्रकार है: एक नगर में एक गरीब ब्राह्मण परिवार रहता था, जिसमें पति-पत्नी और उनकी एक बेटी थी। परिवार बहुत ही साधारण जीवन व्यतीत करता था। एक दिन उनके घर एक साधु महाराज आए। कन्या ने साधु की बहुत सेवा की, जिससे साधु बहुत प्रसन्न हुए। साधु ने कन्या को लंबी आयु का आशीर्वाद दिया, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस कन्या के हाथ में विवाह योग्य रेखा नहीं है, जिसके कारण इसके विवाह के बाद वैधव्य योग बन रहा है।
यह सुनकर ब्राह्मण दम्पति बहुत चिंतित हुए और उन्होंने साधु से इसका उपाय पूछा। साधु ने बताया कि पास के गांव में सोना नामक एक धोबिन रहती है, जो बहुत ही पतिव्रता है और उसमें बड़ा तेज है। यदि यह कन्या उस धोबिन की सेवा करे और बदले में वह महिला प्रसन्न होकर इसकी शादी में अपने मांग का सिंदूर लगा दे, तो इस कन्या का वैधव्य योग नष्ट हो जाएगा। साधु ने यह भी बताया कि वह महिला कहीं आती-जाती नहीं है।
साधु की बात सुनकर ब्राह्मणी ने अपनी बेटी से धोबिन की सेवा करने को कहा। अगले दिन से ही कन्या सुबह जल्दी उठकर सोना धोबिन के घर जाती और वहां जाकर उसके घर की साफ-सफाई और अन्य सभी काम करके अपने घर वापस लौट आती। वह यह काम कई दिनों तक करती रही, लेकिन धोबिन को कभी पता नहीं चला कि कौन उसके घर के काम करता है।
एक दिन सोना धोबिन ने देखा कि कोई सुबह-सुबह उसके घर के काम करके चला जाता है। उसने अपनी बहू से इस बात का पता लगाने को कहा। बहू ने अगली सुबह छिपकर देखा और कन्या को घर का काम करते हुए पकड़ लिया। जब वह कन्या जाने लगी, तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी और पूछने लगी कि आप कौन हैं और मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं?
तब कन्या ने साधु द्वारा कही गई सारी बात सोना धोबिन को बताई। सोना धोबिन पति परायण थी और उसमें बहुत तेज था। वह उस कन्या की मदद करने के लिए तैयार हो गई। उस दिन अमावस्या थी। सोना धोबिन के पति थोड़ा अस्वस्थ थे, फिर भी उसने अपनी बहू से कहा कि जब तक वह वापस न आए, तब तक वह घर पर ही रहे।
सोना धोबिन ने जैसे ही उस कन्या की मांग में अपना सिंदूर लगाया, सोना धोबिन का पति तुरंत स्वर्ग सिधार गया। सोना धोबिन को इस बात का पता चल गया। वह निराजल ही घर से चली थी, यह सोचकर कि रास्ते में उसे कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा, तो वह उसे भंवरी देकर और परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी।
पीपल के पेड़ के पास पहुंचकर, सोना धोबिन ने विधिवत रूप से पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा की और बिना जल ग्रहण किए अपने पति का स्मरण करते हुए प्रार्थना की। उसकी पतिव्रता और तपस्या के बल पर उसके पति को पुनः जीवन मिल गया। इस प्रकार, मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन सोना धोबिन के व्रत और उसकी पतिव्रता के प्रभाव से कन्या का वैधव्य योग टला और उसे सुखमय वैवाहिक जीवन प्राप्त हुआ।
|| मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व ||
- इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और पितरों का तर्पण करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
- यह दिन पितृ दोष से मुक्ति और पितरों की आत्मा की शांति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
- भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में स्वयं कहा है कि “महीनों में मैं मार्गशीर्ष माह हूँ”, इसलिए इस माह में भगवान कृष्ण की भक्ति का भी विशेष महत्व है।
- इस दिन देवी लक्ष्मी का पूजन करना भी शुभ माना जाता है।
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